घनसाली (टिहरी गढ़वाल)
लोक निर्माण विभाग घुमेटीधार घनसाली ठेकेदार संघ घनसाली लगातार चौथे दिन भी धरने पर बैठा रहा।
वही ठेकेदार संघ के अध्यक्ष प्यार सिंह बिष्ट ने बताया कि सरकार ने अभी तक ठेकेदारों की मांगों पर कोई विचार नहीं किया है।
वही सरकार का अभी भी रवैया ठेकेदारों के प्रति स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार कहती है कि हमने रॉयल्टी दरें नहीं बढ़ाई है ठेकेदार भ्रमित हो रखा है।
उन्होंने कहा कि हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि अगर ठेकेदार भ्रमित हो रखा है तो स्पष्ट शब्दों में शासनादेश के साथ सरकार ठेकेदारों को पुरानी नियमावली के तहत शासनादेश सरकार विभागों को भेजें।
वही अगर सरकार की मंशा साफ है तो सरकार को घुमा फिरा के नहीं बल्कि स्पष्ट शब्दों में बात कहनी चाहिए।
पहाड़ों पर पत्थर इत्यादि उपयोग करने पर ठेकेदारों से रॉयल्टी कटती थी जिसका मूल्यांकन विभाग करता था।
किस ठेकेदार द्वारा कितनी मीटर या घन मीटर दीवार में खनिज सामग्री उपयोग की गयी है उसका मूल्यांकन विभाग द्वारा किया जाता था और उस हिसाब से ठेकेदार से रॉयल्टी विभाग काट लेता था।
वही उन्होंने स्पष्ठ किया कि ठेकेदार को रॉयल्टी नहीं मिलती थी, विभाग स्वयं मूल्यांकन करता था और मूल्यांकन कर ठेकेदार से उतनी रॉयल्टी काटकर सरकार के फंड में विभाग स्वयं ही जमा कर देता था तथा ठेकेदारों का इस पर कोई लेना देना नहीं था।
मगर सरकार आज कह रही है कि अगर आपने किसी खनन पट्टे वाले से जीएसटी वाला बिल या रमाने के कागज एवं बिल नहीं लाया है तो आपको 5 गुना जुर्माना के तौर पर सरकार को देना होगा।
उन्होंने कहा कि हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि अगर हमारे पहाड़ों पर सड़क बन रही है ऐसे में उससे जो खनिज निकलता है तो उस बोल्डर का हमने क्या करना है, अगर उस बोल्डर को को हम उपयोग करते हैं तो उसका जो भी मापन बैठता है उसका मूल्यांकन विभाग कर लेता था और ठेकेदारों के बिल से रॉयल्टी काट ली जाती थी ।
ठेकेदार संघ ने बताया कि वही नियमावली हम पूर्व की भांति वाली चाहते हैं जिससे कि छोटे-छोटे ठेकेदार उत्तराखंड में कार्य कर सकें।
आज सरकार में बैठे कुछ लोग स्थानीय ठेकेदारों को गुमराह कर रहे हैं मगर ठेकेदार पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति को भलीभांति जनता है और सरकार में बैठे हुए कुछ हमारे मंत्री गण या सरकार के कुछ अधिकारी ठेकेदारों की हितों की बात समझना ही नहीं चाहते ।
वह केवल अपना तुगलकी फरमान सुना रहे हैं।जब ठेकेदारों ने स्पष्ट कर दिया है कि पहाड़ों से जो उप खनिज निकलता है वह हम उपयोग करते हैं तथा सही मापन के साथ उसकी रॉयल्टी विभाग हमसे काट लेता है तो फिर घुमा फिरा कर बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
हम अधिकारियों एवं सरकार से भी पूछना चाहते हैं जो कहते हैं कि रॉयल्टी जमा करनी ही पड़ेगी।
हम उसी सरकार से पूछना चाहते हैं कि अगर हमें किसी पहाड़ का कटान करना है, सड़क बनाने के लिए या अन्य कार्यों के लिए क्या हम पहाड़ से रॉयल्टी का बिल मांगेंगे ।
इसीलिए हमारा कहना है कि सरकार की करनी में और कथनी में फर्क है।
सरकार पुरानी नियमावली को बहाल करें और रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण की जटिलता को समाप्त करें तथा पूर्व की भांति यथावत रहने दे ।
यही नही बड़ी निविदाओं को भी छोटी करें ।
उन्होंने कहा कि यह हमारी मुख्य मांगे हैं तथा जब तक सरकार हमारी मांगों को पूर्ण रूप से शासनादेश के साथ नहीं मान लेती तब तक हम आंदोलन जारी रखेंगे और संपूर्ण विभागों में लगी हुई निविदाओं का बहिष्कार करेंगे ।
यही नही संपूर्ण विभागों में कार्य बहिष्कार करेंगे और आगे तालाबंदी भी की जाएगी।
आगे चलकर उत्तराखंड सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी एवं पुतला दहन कार्यक्रम भी किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार एवं विभागों की होगी।