पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हाल किसी से छुपे नहीं है पहाड़ में अभी भी स्वास्थ्य व्यवस्थाये जस की तस बनी हुई है।
मामला जिला चमोली के निजमुला घाटी के पाणा गांव की है, जहां महिला ने बचे को रास्ते में जन्म दिया। महिला को पगडंडी के माध्यम से जिला चिकित्सालय पहुंचाया जा रहा था परंतु सड़क व्यवस्था ना होने के कारण कहीं ना कहीं चिकित्सालय पहुंचने में देर हो गई।
और इस प्रसूता ने बच्चे को रास्ते में ही जन्म दे दिया। यदि इस महिला के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के स्लोगन को सरकार कितना समर्थ कर पाई है यह इस बात से ही पता चलता है कि पगडंडियों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को जिला चिकित्सालय तक पहुंचाया जाता है। और प्रसूता कच्चे रास्तों पर पर बच्चे को जनने पर मजबूर हैं।
सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है परंतु आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बावजूद पहाड़ों का विकास जस का तस है ।
वर्तमान समय में जनपद चमोली के कई गांव अभी भी विकास की मुख्यधारा से दूर हैं सड़क मार्गों से जुड़ नहीं पाए हैं। ऐसा ही कुछ हाल निजामुल घाटी के पाणा गांव का भी है।
यह गांव भी आजादी से अभ तक सुलभ सड़क व्यवस्था का सपना देख रहा है।यदि क्षेत्र में कहीं सड़क व्यवस्था है भी तो उसके भी हाल बेहाल हैं।