प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के भरोसे चुनाव लड़ना बीजेपी के लिए सत्ता विरोधी लहर का संशय खड़ा कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी अपने दो कार्यकाल पूरा करने के बाद अब तीसरी बार सत्ता के लिए मैदान में हैं।
उत्तराखंड में 2014 और 2019 में बीजेपी ने 5-0 से कांग्रेस को हराया।
मगर कांग्रेस भी बीजेपी को 2009 में 5-0 से हरा चुकी है। कांग्रेस से दलबदल कर बीजेपी में आये दलबदलू नेताओं ने कांग्रेस के वोट बैंक में सैंधमारी की थी।
आज भी दल बदल के लिए 400 पार वाली पार्टी की उत्सुकता अपनी जीत पर संशय दर्शाती है। बीजेपी की कटु आलोचना वाले भ्रष्ट नेताओं का वोट बैंक हर हाल में स्वीकार्य है – भले ही भ्रष्ट दलबदलू नेताओं को सत्ता का संरक्षण मिल जाये।
बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के चलते इक तरफा जीत पांच सीटों में हासिल की। सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत वोट गढ़वाल लोकसभा में हासिल हुए थे।
2022 विधानसभा चुनाव में गढ़वाल लोकसभा की 14 विधानसभाओं में मत प्रतिशत 22 और वोट 1 लाख 21 हजार तक कम हो गए। बीजेपी का वोट बैंक घटकर 46 प्रतिशत रह गया और इसी कारण पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को दुबारा टिकट नहीं मिला।
अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर बीजेपी का वोट बैंक 64 प्रतिशत से घटकर विधानसभा चुनाव में 46 प्रतिशत यानि 18 प्रतिशत कम हुआ है।
नैनीताल – उधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने 61 प्रतिशत 7 लाख 72 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। विधानसभा में बीजेपी का वोट 1 लाख 58 हजार घटकर 44 प्रतिशत रह गया है।
हरिद्वार लोकसभा सीट बीजेपी ने 52 प्रतिशत वोट पाकर जीती थी लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वोट घटकर 41 फीसदी पर आ गए हैं। हरिद्वार लोकसभा में 11 फीसदी वोट बीजेपी के घटे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री निशंक का टिकट कटने का एक कारण बीजेपी की लोकप्रियता में कमी मानी जा सकती है।
अल्मोड़ा लोकसभा सुरक्षित सीट बीजेपी ने 64 प्रतिशत वोट हासिल कर के जीती थी लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 18 प्रतिशत गिरकर 46 फीसदी पहुंच गया है।
टिहरी लोकसभा पर बीजेपी ने इकतरफा 64 फीसदी वोट हासिल किए और विधानसभा चुनाव में 14 प्रतिशत कम होने के बावजूद मतप्रतिशत 50 प्रतिशत पर स्थिर है – इस कारण श्रीमती माला राज्य लक्ष्मी शाह चौथी बार लोकसभा प्रत्याशी हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस का मनोबल गढ़वाल, हरिद्वार और नैनीताल सीट पर दिखता है।
गढ़वाल लोकसभा में अंकिता भंडारी हत्याकांड, युवाओं की अग्निवीर योजना, पेपर लीक, मंहगाई, आपदा और बाहरी प्रत्याशी के मुद्दे कांग्रेस के पक्ष में 15 प्रतिशत वोट बढ़ा पायेंगे – ये गणेश गोदियाल के चुनावी पराक्रम पर निर्भर है।
अन्यथा अनिल बलूनी को पांच प्रतिशत वोट बढ़ाकर गढ़वाल सीट पर विजय पताका फहरानी है।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह रावत को हराने के लिए दस फीसदी वोट और बटोरने हैं।
हरिद्वार में बसपा और अन्य के 21 फीसदी मतों पर कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार निर्भर हैं।
2022 विधानसभा चुनाव में अब की बार 60 पार का नारा बीजेपी भले ही सच साबित नहीं कर पायी लेकिन निरंतर सत्ता में दुबारा लौटी।
बीजेपी ने 47 पिछली बार से 10 कम, कांग्रेस ने 19 पिछली बार से 8 ज्यादा, 2 बसपा और 2 निर्दलीय विधायक चुनाव जीतने में सफल हुए।
कांग्रेस से दलबदलकर बीजेपी में आये विधायक और नेताओं के वोट अब कांग्रेस फिर से रिकवर करते देखी जा सकती है।
बीजेपी सभी पांच लोकसभा सीटों पर 41 से 50 प्रतिशत का वोट बैंक, कुशल चुनाव प्रबंधन और डबल इंजन संसाधन के साथ विपक्ष पर हावी नज़र आती है।
– भूपत सिंह बिष्ट