धारचूला विधायक हरीश धामी ने पिथौरागढ़ जिला प्रशासन पर तीखा हमला बोलते हुए उसे सत्ता का “ग़ुलाम” करार दिया है। सोशल मीडिया पर की गई अपनी एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने आदि कैलाश यात्रा के दौरान हुए घटनाक्रम को लेकर गहरी नाराजगी जताई है।
धामी ने आरोप लगाया कि आदि कैलाश यात्रा के दौरान धारचूला एसडीएम द्वारा उनके लिए गूंजी में तीन कमरों की व्यवस्था की गई थी, जिनमें उनके साथ चम्पावत के पूर्व विधायक हिमेश खर्कवाल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा और वर्तमान विधायक मनोज तिवारी को ठहराया जाना था।
लेकिन, उन्होंने दावा किया कि पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने अचानक यह कहकर रूम खाली करने को कहा कि वह पहले से किसी अन्य विभाग के कर्मचारी के लिए बुक हैं। धामी ने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की “राजनीतिक गुलामी” का उदाहरण बताया।
इतना ही नहीं, धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को यात्रा के दौरान स्कॉट न दिए जाने को भी सुरक्षा में भारी चूक बताया।
विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा
विधायक हरीश धामी ने स्पष्ट कहा कि वे इस पूरे प्रकरण को विधानसभा सत्र में विशेषाधिकार हनन के तहत उठाएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह किया कि प्रदेशभर में विभिन्न जनप्रतिनिधियों के साथ हो रहे विशेषाधिकार उल्लंघन के मामलों पर संज्ञान लें और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
भ्रष्ट अधिकारी को करने वाले हैं बेनकाब
अपनी पोस्ट में विधायक ने आगे लिखा,
“पिथौरागढ़ जिले में जिस भ्रष्ट अधिकारी को आपने बैठाया है, उसे मैं विधानसभा सत्र में सबूतों के साथ बेनकाब करूंगा। सत्ता आती जाती रहती है, लेकिन प्रशासन की निष्पक्षता और जिम्मेदारी हमेशा बनी रहनी चाहिए।”
विधायक हरीश धामी के इस बयान ने पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, यह प्रकरण राज्य की नौकरशाही में पारदर्शिता और राजनीतिक दबाव के बीच की खींचतान को भी उजागर करता है।
अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाते हैं!