28 जनवरी 2025मोरी
नीरज उत्तराखंडी
—तबाही के भयावह मंजर की गवाही देती
मोरी विकासखण्ड के सावणी गांव में घटित अग्निकांड की विरान तस्वीरें ।
–जहां कभी हंसी खुशी खेलती थी वहां सन्नाटा पसरा है।
उत्तरकाशी जनपद के मोरी तहसील के सुदूरवर्ती गांवों में हर साल अग्निकांड की घटनाएं होती रहती हैं। पिछले 18 सालों में महज मोरी तहसील क्षेत्र में 450 से अधिक मकान जलकर खाक हुए हैं। इन घटनाओं में दो ग्रामीण व सैकड़ों मवेशी जिंदा जले हैं।
आग लगने का मुख्य कारण देवदार, कैल की लकड़ी से बने आवासीय भवन हैं। मोरी क्षेत्र के 90 प्रतिशत गांवों में भवनों का निर्माण देवदार और कैल की लकड़ी से ही होता है। तथा मकान के चारों ओर ईंधन लकड़ी और पशुओं के लिए सर्द मौसम के लिए एकत्रित घास चारा है।छोटी सी लापरवाही बड़े अग्निकांड को घटित कर देती है। ऐसे में देवदर व कैल की लकड़ी और घास बारूद का काम करती है। ऐसे अग्निकांडों से अपने घर बचाने के लिए ग्रामीणों को भी सतर्क होने की जरूरत है। प्रशासन को भी इस मानव जनित आपदा को रोकने के लिए गहन चिंतन की जरूरत है।
19 वर्षों में मोरी में हुई अग्निकांडों की घटनाएं:
- 2006 ढाटमीर गांव में 120 भवन जले, छह अन्न कुठार व 7 मवेशी जले।
- 2007 – ओसाला गांव में 53 भवन जले और 83 मवेशी झुलस कर मरे।
- 2008 जखोल में 44 आवासीय भवन, कोटगांव में आठ, नैटवाड़ में पांच भवन, भीतरी में दो भवन, मजेणी में दो भवन जले।
- 2009- सिदरी गांव में 25 भवन, पिता-पुत्री जिंदा जले, नौ पशु जले व इसी वर्ष सुचाण गांव आठ भवन जले।
- 2011-धारा गांव पांच मकान जले तथा 15 पशुओं की मौत हुई।
- 2012-पांव तल्ला गांव में सात भवनों में आग लगी।
- 2013 – सुनकंडी गांव में 22 भवन व सटूड़ी में तीन भवन जलकर खाक हुए
- 2014- जखोल में 16 भवन व 13 कोठार जलकर राख हुए।
- 2016- रैक्चा में नौ भवन जले।
- 2017 – सेवा गांव में चार भवन जले।
- 2018- सावणी में 29 भवन जलकर खाक हुए, करीब 100 मवेशी जिंदा जले।
- 2020-मसरी में 28 भवन जलकर खाक हुए।
- 2021- सिरगा में तीन भवन जले।
- 2022- गंगाड़ में दो भवन जले।
- 2024 – सालरा गांव में 14 भवन जले।
- 2024 ढाटमीटर गांव में तीन भवन जले।
- 2025 – सावणी गांव में नौ भवन व पांच अन्न के कोठार जले। महिला की मौत व चार मवेशी भी जले।