स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कुमाऊँ के लिए न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को पंतनगर यूनिवर्सिटी की भूमि में बनाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए अपने पूर्व के आदेश पर सचिव विमानन नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार को आज न्यायालय में बुलाया था ।
सचिव कैबिनेट की मीटिंग होने के कारण पेश नही हो सके। न्यायालय ने अब उनको 8 दिसम्बर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ने को कहा है ।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार पंतनगर निवासी केशव कुमार पासी ने जनहीत याचिका दायर कर कहा है कि कुमाऊँ के लिए प्रस्तावित न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को पंतनगर यूनिवर्सिटी के बीच मे बनाया जाना प्रस्तावित है। प्रस्तावित एयरपोर्ट को उत्तराखंड के लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया जाए ।
न्यू एयरपोर्ट बनने से पंतनगर यूनिवर्सिटी के अस्तित्व को बचाया जाए। यहाँ पर एयरपोर्ट बनने से उत्तराखंड के लोगों को एयरपोर्ट पहुचने के लिए दिक्कतों का भी सामना करना पड़ेगा।
प्रस्तावित एयर पोर्ट को यूनिवर्सिटी के बीच मे न बनाकर नैनीताल व उद्यम सिंह नगर की तलहटी में सरकार की खाली पड़ी लगभग 76 हजार 800 एकड़ बंजर जमीन में बनाया जाए ।
विश्वविधालय के आसपास शिड्कुल, स्टेट हाइवे 37, पुराना एयरपोर्ट, पाँच नदियां और छः नहरें है। अगर यहाँ प्रस्तावित एयरपोर्ट बनता है तो विश्वविधालय का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।
पन्तनगर एयरपोर्ट अभिभाजित उत्तर प्रदेश ने अपनी सुविधाओ को लेकर 1957 में बनाया गया था। अब उत्तराखंड अलग हो चुका है इसलिए नए एयरपोर्ट को उत्तराखंड की सुविधाओ के अनुसार बनाया जाय।
सचिव नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार ने 16 मार्च 2020 को उधम सिंह नगर के बरहैनी में एयरपोर्ट के लिए प्रस्ताव माँगा गया था उसके बाद भी जिला अधिकारी ने गुपचुप तरीके से पंतनगर विश्वविद्यालय का प्रताव भेजा गया।
उन्होंने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि इस जगह में आवादी नही है। जबकि यहां पर नगला, शिड्कुल, विश्वविद्यालय, किच्छा , रुद्रपुर आवादी वाले क्षेत्र है। अगर एयरपोर्ट प्रस्तावित क्षेत्र में बनाया जाता है तो आम लोगो को पुराने एयरपोर्ट से 14 किलोमीटर और दूर जाना पड़ेगा।