दून विश्वविद्यालय में आज राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में एक वेबीनार का सफल आयोजन किया गया जिसमें युवाओं को प्रेरित करने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) श्री गुरमीत सिंह ने कहा कि युवाओं को भाईचारा, दया, समरसता एवं विश्व कल्याण का संदेश पूरे जग मे फैलाना होगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदुस्तान के लोगों के भीतर भारतीयता एवं राष्ट्रीयता को विकसित करने की आधारशिला रखी थी।
विश्व धर्म संसद जो कि शिकागो में संपन्न हुई थी, उसमें स्वामी विवेकानंद जी ने सनातन धर्म की सार्थकता, वैज्ञानिकता एवं सार, संपूर्ण विश्व के समक्ष रखा जिसके फलस्वरूप भारतीय आध्यात्मिक चेतना समस्त विश्व में व्याप्त हुई और विदेशी लोगों का आकर्षण भारतीय धर्म और भारतीय संस्कृति को जानने में बढ़ा। इस धर्म सभा में स्वामी जी ने “वसुधैव कुटुंबकम” को उद्धृत करते हुए कहा कि सभी मानव जाति एक है. मनुष्य का कार्य प्रकृति को जीतना नहीं अपितु प्रकृति का अनुसरण करना है. युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने कहा कि उठो जागो और जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं करो तब तक रुको नहीं. कुलपति ने कहा कि व्यक्ति के व्यक्तित्व में शुद्धता होनी चाहिए केवल धन का ढेर लगाने से कुछ भी हासिल नहीं होगा इसीलिए व्यक्तित्व के निर्माण के लिए व्यक्ति को समझना ज्यादा जरूरी है।
दून विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं उत्तराखंड राज्य के राज्यपाल ले० जनरल सेवानिवृत्त श्री गुरमीत सिंह ने राष्ट्रीय युवा दिवस पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं प्रेषित की और कहा कि जब मैं आर्मी में था उस दौरान मैंने विवेकानंद से संबंधित 14 किताबें पढ़ी और मुझे ज्ञात हुआ 39 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने अकल्पनीय कार्य किए और भारतीय लोगों को जागृत करने का कार्य किया ।
जिसके परिणाम स्वरूप भारतीयों के भीतर आत्मसम्मान पुनः स्थापित हो पाया। विवेकानंद का व्यक्तित्व सम्मोहन पैदा करने वाला है इसी कारण से आज भी विवेकानंद अनेकों युवाओं के रोल मॉडल हैं। विश्व धर्म सभा में दिया गया स्वामी जी का उद्बोधन जिसमें उन्होंने पश्चिमी जगत को भारतीय ज्ञान से परिचय करवाया, आज भी सार्थक है।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय युवा प्रतिभाशाली है और भारतीय युवाओं की प्रतिभा का लोहा समस्त विश्व मानता है। युवाओं को संदेश देते हुए राज्यपाल ने कहा कि आप जहां भी जाएं जो भी कार्य करें आपके कार्यों में मानवता, करुणा और विश्व कल्याण की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत एक युवा देश है और जिसके कारण से भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है हमें अपनी भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे रखते हुए कार्य करना है। भारतीय लोगों को भारतीयता से जुड़ने की आवश्यकता है। अपने देश को बेहतर बनाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने 26 दिसंबर को दसवें सिख गुरु श्री गुरुगोविंद के चार साहिबजादों के द्वारा धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिए जाने के उपलक्ष्य में वीर बाल दिवस की घोषणा निश्चित ही युवाओं के भीतर देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा पैदा करेगा।
उन्होंने बताया कि जब वह उत्तराखंड में राज्यपाल की शपथ ले रहे थे तो उन्होंने प्रण लिया था कि मैं उत्तराखंड में रिवर्स पलायन के ऊपर कार्य करूंगा ताकि उत्तराखंड के प्रतिभावान युवा पलायन न करे वल्कि अपने क्षेत्रों में ही रोजगार का सृजन करें और अपनी आय अर्जित करें। राज्यपाल ने उत्तराखंड में कार्य कर रहे स्वयं सहायता समूहों, सूक्ष्म उद्योगों का विशेष रुप से उल्लेख करते हुए कहा कि इन समूहों के द्वारा उत्तराखंड की महिलाएं अच्छी आय का अर्जन कर रही हैं और सम्मानजनक जीवन जी रही है जोकि प्रेरित करने वाली घटना है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सामाजिक तबके में जो व्यक्ति अंतिम छोर से संबंधित है, उसको सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाना मेरी प्राथमिकता में है।
इस कार्यक्रम के दौरान अनुभव, संकल्प, विज्ञानी, विपाशा एवम अंशिका आदि विद्यार्थियों ने राज्यपाल से युवाओं, राष्ट्रीयता एवं स्वरोजगार से संबंधित कुछ प्रश्न भी पूछे।
इस कार्यक्रम का संचालन प्रो एचसी पुरोहित (डीएसडब्ल्यू) ने किया।
दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एम एस मंदरवाल ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम के दौरान ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो ओ पी एस नेगी, देव सुमन के वाइस चांसलर प्रो पीपी ध्यानी, प्रोफेसर हर्ष पति डोभाल, डॉ सविता तिवारी कर्नाटक, उप कुलसचिव नरेन्द्र लाल, डॉ सुधांशु जोशी, डाँ धृति ढोडियाल, डाँ मधु बिष्ट, साकेत उनियाल एवं डॉ राजेश भट्ट उपस्थित रहे।