अनुज नेगी
पौड़ी।
प्रदेश में दिनप्रतिदिन शिक्षा व्यवस्था चौपट होती जा रही है। पहाड़ो में दूरस्थ क्षेत्रो में तैनात शिक्षक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। कई बार दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षक नदारद रहते हैं तो कई जगहों पर स्कूलों में ताला लटका हुआ रहता है।लेकिन इस बार एक नया ही प्रकरण देखने को मिला है।
जनपद पौड़ी के एकेश्वर ब्लॉक के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने अपनी जगह गांव की एक युवक्ती को दस हज़ार प्रति माह पढ़ाने का ठेका दे रखा था, ये युवती शान से प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में पढ़ा रही थी।
बतादें कि एकेश्वर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बंठोली के प्रधानाध्यापिका की लंबे समय से शिकायत हो रही थी. लेकिन आश्चर्य की बात है कि इससे पहले इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।अब जाकर शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले पर जागे हैं। मुख्य शिक्षाधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा ने प्रधानाध्यापिका को सस्पेंड कर दिया है।साथ ही प्रधानाध्यापिका को बीईओ कार्यालय एकेश्वर अटैच कर दिया है।
लिहाजा दुर्गम विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों का भविष्य खतरे में है।ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी इन विद्यालयों का निरीक्षण नहीं करते। कागजों में निरीक्षण हमेशा होता है।रिपोर्ट हमेशा अव्वल रहती है।
बार-बार की शिकायत के बाद जब निरीक्षण किया गया तो राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली कई बार बंद पाया गया। मुख्य शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा आनंद भारद्वाज के अनुसार इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका द्रौपदी मधवाल द्वारा कई बार अकारण ही स्कूल बंद रखा जा रहा था।यही नहीं प्रधानाध्यापिका ने पठन पाठन के लिए अपनी जगह पर गांव की ही एक युवती को हायर कर रखा था, जो कि विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के सभी विषय पढ़ाती थी।इसके एवज में प्रधानाध्यापिक उसे 10 हजार रुपये प्रति माह देती थी. साथ ही कई बार के औचक निरीक्षण में विद्यालय बंद भी पाया गया. मामले की गंभीरता के देखते हुए सीईओ व डीईओ बेसिक ने उसे निलंबित कर दिया गया है।
70 हजार है प्रधानाध्यापिका का वेतन: एकेश्वर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली में द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से तैनात थी. इस प्रधानाध्यापिका का हर महीने का वेतन 70 हजार के करीब है. द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से अधिकांश समय स्कूल से गायब रही हैं. पिछले करीब पांच महीने से उनकी जगह 10 हजार रुपए महीने के ठेके पर रखी गयी गांव की युवती इस अंतराल में छात्रों को पढ़ा रही थी. बताया जा रहा है कि स्कूल ज्यादातर दिनों में बंद ही रहता था. पता चला है कि द्रौपदी मधवाल मैदानी इलाके कोटद्वार की रहने वाली हैं. दुर्गम स्थल में तैनाती उनको रास नहीं आ रही थी. ऐसे में वो घर बैठे वेतन उड़ा रही थीं. उधर प्रधानाध्यापिका की इस लापरवाही का खामियाजा इलाके के गरीब छात्र भुगत रहे थे।