निजी स्कूलों की बढ़ती फीस, महंगी किताबें और मनमानी शुल्क के खिलाफ राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने आज जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन और नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान डिप्टी कलेक्टर गौरव चटवाल ने प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद पार्टी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
स्कूलों की लूट पर सरकार चुप क्यों?
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि निजी स्कूलों ने ट्यूशन फीस में 40% तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसके अलावा पंजीकरण और वार्षिक शुल्क में भी अनावश्यक वृद्धि की गई है, जिससे अभिभावकों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईस्टवाल ने कहा कि उत्तराखंड को बने 25 साल हो गए, लेकिन अब तक फीस नियंत्रण के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं बनाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की चुप्पी के कारण निजी स्कूल मनमानी फीस, एडमिशन चार्ज, यूनिफॉर्म, एनुअल डे और अन्य बहानों से लगातार अभिभावकों की लूट कर रहे हैं।
कमीशन के लिए महंगी किताबों की जबरन बिक्री
जिला अध्यक्ष देवेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि निजी स्कूल कमीशन के लालच में किताबों के कवर बदलकर महंगी किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे हैं। ज्यादा कमीशन देने वाले प्रकाशकों की दुकानों से ही किताबें खरीदने का दबाव बनाया जाता है।
व्यापार प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष नवीन पंत ने कहा कि हर साल फीस में मनमानी वृद्धि, 10,000 से 15,000 रुपये तक की महंगी किताबें, 5,000 से 10,000 रुपये की स्कूल यूनिफॉर्म जबरन बेची जा रही हैं। जबकि उत्तराखंड सरकार ने केवल एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का आदेश दिया है, लेकिन हर साल निजी स्कूल इस आदेश की धज्जियां उड़ाते हैं और सरकार केवल जांच के नाम पर औपचारिकता निभाती है।
फीस नियंत्रण कानून की मांग
महिला प्रकोष्ठ की महानगर अध्यक्ष शशि रावत ने कहा कि 2018 से ही फीस नियंत्रण कानून बनाने की मांग उठ रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सरकार ने समितियां बनाईं, लेकिन सभी प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिए गए।
दयानंद मनोरी ने कहा कि प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाकर अभिभावकों की जेब काट रहे हैं, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसा लगता है कि राज्य में निजी स्कूल ही शिक्षा विभाग चला रहे हैं।
प्रदर्शन में सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल
प्रदर्शन में सुलोचना ईस्टवाल, नवीन पंत, रेनू नवानी, मीना थपलियाल, सुशीला पटवाल, रजनी कुकरेती, शशि रावत, सुमित्रा जोशी, विजेंद्र बिष्ट, अमित भट्ट, आन्दमणी सुंदरियाल, देवेन्द्र गुसाईं, दिग्पाल सिंह बंगारी, जगमोहन झिंकवाण, भगवती प्रसाद गोस्वामी, राजेन्द्र गुसांई, सोभित भद्री, दयाराम मनोरी और मान सिंह समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने सरकार से तत्काल प्रभाव से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने और फीस नियंत्रण कानून लागू करने की मांग की। पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।