मार्च 2025 मोरी।
नीरज उत्तराखंडी
मोरी विकासखण्ड के टोंस वन प्रभाग अंतर्गत सान्द्रा रेंज में टोंस नदी पर बना सांद्रा झूला पुल की मरम्मत नहीं होने से चार गांवों के ग्रामीणों को आवाजाही बाधित हो रही है और ग्रामीणों तीन किमी अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ रही है।
बताते चलें कि टिहरी राजशाही के समय टौंस नदी पर वर्ष 1889 में सांद्रा झूरला पुल का निर्माण हुआ था। यूं तो पुल दशकों पुराना होने के कारण जर्जर हालत में है। लेकिन वन विभाग द्वारा हर वर्ष मरम्मत करने से किसी तरह सल्ला, मोताड़, पेतरी, वामसु, सरास व सांद्रा कुल छह गांव के ग्रामीण इस पुल से आवाजाही कर रहे थे। लेकिन गत वर्ष दिवाली में पटाखों से पुल के तख्ते जलने के कारण वन विभाग ने पुल से आवाजाही प्रतिबंधित कर दी, जिस कारण स्थानीय निवासियों को आने जाने में दिक्कतों का सामना करना
उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों एवं राजशादी के समय मोरी क्षेत्र के मासमोर, पोंगल, आराकोट एवं
हिमाचल क्षेत्र की आवाजाही को टौंस नदी पर 124 वर्ष पूर्व 90 मीटर स्पान का सांद्रा झूला पुल का निर्माण कराया गया था।
उधर, गांव के केदार सिंह, राजेंद्र सिंह ने बताया कि सड़क मार्ग से गांव तक मोताड़ पुल से चार किमी लंबा रास्ता तय कर गांव तक आवाजाही करनी पड़ रही है। पहले सांद्रा शूला पुल से पैदल चलकर आधा घंटे में मोरी बाजार समेत मोरी-त्यूणी मुख्य सड़क तक पहुंचा जा सकता था, लेकिन पुल जलने से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं।
इधर, सांद्रा रेंज अधिकारी अभिलाष सक्सेना ने बताया कि पुल काफी पुराना एवं जर्जर स्थिति में है, कई बार मरम्मत भी कराई गई है। छह माह पूर्व आग लगने के बाद लोनिवि को पुल सर्वेक्षण कर प्राकलन तैयार करने को पत्र भी लिखा गया है।