नीरज उत्तराखंडी/मोरी।
मोरी ब्लॉक के सावणी गांव में यदि पेयजल आपूर्ति सुचारू होती तो कुछ परिवार बेघर होने से बचाया जा सकता था। पेयजल आपूर्ति का आलम यह है कि गांव में चार दिन से पानी नहीं आ रहा।
सड़क सुविधा से वंचित होने पानी की उचित व्यवस्था न होने से गांव में अचानक आग भड़कने से बुझाने का कोई साधन नहीं होने पर ग्रामीणों ने रेस्क्यू टीम के साथ मिट्टी खोद आग में डालकर काबू पाया।
धू धूकर जलते आवासीय मकानों को बचाने के लिए ग्रामीण आग बुझाने के लिए पानी ढूंढने लगे, लेकिन गांव में चार दिन से पानी आने के कारण घरों में भी पीने लायक ही पानी था। उससे विकराल हो चुकी आग को बुझाना मुश्किल था। फिर ग्रामीणों और होमगार्ड के जवानों ने खेत और आंगन में मिट्टी खोदी और उससे आग पर काबू पानी की कोशिश की। काफी प्रयासों के बाद आग पर जब तक काबू पाया गया, 9 मकान जालकर राख हो चुके थे। वहीं एक बुजुर्ग महिला सहित चार मवेशी अपनी जान गंवा चुके थे।
पूर्व प्रधान ज्ञान सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को आग बुझाने के लिए मिट्टी खोदनी पड़ी। सतावणी गांव में वर्ष 2018 में भी भीषण अग्निकांड हुआ था,जिसमें करीब 39 परिवार बेघर हो गए थे। उस समय भी आग बुझाने के लिए गांव में पानी नहीं मिला।
पेयजल निगम के अधिकारी का बताते है कि तीन दिन पूर्व पेयजल लाइन पर पेड़ गिरने के कारण पानी की आपूर्ति बंद हो गई थी। पर एक लाइन आपूर्ति के लिए शुरू कर दी गई है।
वर्ष 2018 की घटना के बाद सीएम घोषणा के बाद वहां पर करीब 40 लाख की लागत से टैंकों और पाइपलाइन का निर्माण हुआ था उसकी जिम्मेदारी ग्राम समिति के है।