भ्रष्टाचार की बात हो और आपदा प्रबंधन विभाग का जिक्र न हो यह तो हो ही नहीं सकता है।
JCEO के पद पर अयोग्य अधिकारी मो० ओबैदुल्लाह अंसारी की नियमविरुद्ध नियुक्ति व आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र में हुये 10 करोड़ रुपए के गबन की कालिख अभी चेहरे से साफ भी नहीं हुयी है कि अब एक और घोटाला सामने आ गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग में गलत वेतन निर्धारित होने के कारण 05 कार्मिकों को 7.5 वर्ष में अब तक 01 करोड़ 50 लाख रुपए अतिरिक्त वेतन दिया जा चूका है, जिसकी रिकवरी की जानी है लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग और वित्त विभाग इस प्रकरण पर धृतराष्ट्र बने हुए हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव अपर मुख्यसचिव वित्त, सचिव आपदा प्रबंधन व अन्य अधिकारियों को 02 सितम्बर को पत्र लिखकर शिकायत की है कि उनके द्वारा 12 जून 2023 को आपदा प्रबंधन विभाग में चल रहे वेतन घोटाले की शिकायत की गयी थी,इस प्रकरण पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पुनः 26 जून 2024 को अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्धन को निर्देश दिया था कि प्रकरण का तत्काल परिक्षण करके कार्यवाही करें, लेकिन आज तक वित्त विभाग ने वेतन घोटाले के इस प्रकरण पर कोई कार्यवाही नहीं की है।
आपदा प्रबंधन विभाग आरोप लगा रहा है कि वित्त विभाग ने आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद के लिये गलत वेतनमान 5000-8000 तथा ग्रेड वेतन 4200 निर्धारित किया है, यदि इस पद के लिये 4200 ग्रेड वेतन अनुमन्य नहीं है तो वित्त विभाग ने स्वीकृत क्यों किया।
यह वित्त विभाग की गलती है इसलिये इसे वित्त विभाग ही ठीक करे। वित्त विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग को परामर्श दिया है कि वे स्वयं के स्तर पर इस वेतन विसंगति को ठीक करें। वेतन घोटाले के इस प्रकरण पर वित्त विभाग अपनी गलती स्वीकार करने और सही परामर्श देने से बचने का प्रयास कर रहा है।
जुगरान का आरोप है कि वे आपदा प्रबंधन विभाग और वित्त विभाग के अधिकारियों को 11 मई 2018 को जारी किये गये पुनर्गठित शासनादेश कि प्रति उपलब्ध करवा चुके हैं, जिसमें डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद का वेतनमान 4000-6000 तथा ग्रेड वेतन 2400 निर्धारित किया गया है, लेकिन वित्त विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग दोनों इस शासनादेश का संज्ञान जानबूझकर नहीं ले रहे हैं।
आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के पदों और वेतन का यह शासनादेश वित्त विभाग की सहमती और मंत्रिमंडल के अनुमोदन से जारी किया गया है।
जुगरान का आरोप है कि उनकी शिकायत के सापेक्ष गठित की गयी जांच समिति के अध्यक्ष मो० ओबैदुल्लाह अंसारी ने आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के पदों और वेतन से सम्बंधित आदेश 11 मई 2018 को जारी किये।
पुनर्गठित शासनादेश का संज्ञान न लेते हुये डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कार्यरत कार्मिकों मोहन सिंह राठौर और गोविन्द सिंह रौतेला के वेतन का पुनर्गठन फिर से 4200 ग्रेड वेतन के अनुसार निर्धारित कर दिया है जो कि नियमविरुद्ध है क्योंकि 11 मई 2018 को जारी पुनर्गठित शासनादेश में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद का वेतनमान 4000-6000 तथा ग्रेड वेतन 2400 निर्धारित किया गया है, वैसे भी उत्तराखण्ड में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद के लिये प्रारंभिक स्तर पर 4200 ग्रेड वेतन अनुमन्य नहीं है।
जुगरान ने बताया कि 06 नवम्बर 2023 को वेतन घोटाले के इस प्रकरण की जांच के लिये संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर गैरविधिक नियुक्त किये गये ।
मो० ओबैदुल्लाह अंसारी की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर दी गयी, जिसमें वित्त विभाग और कार्मिक विभाग के अधिकारियों को नामित नहीं किया गया।
जांच समिति का अध्यक्ष बनते ही मो० ओबैदुल्लाह अंसारी ने इस वेतन घोटाले की जांच उन्हें न करनी पड़े इसलिये स्वयं के स्तर पर 19 नवम्बर 2023 को इस प्रकरण की जांच करने के लिये एक 05 सदस्यीय उपसमिति का नियमविरुद्ध गठन कर दिया गया जिसमें उन्होंने स्वयं से निचले स्तर के अधिकारीयों और कार्मिकों को नामित किया।
इस उपसमिति ने आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के पदों और वेतन से सम्बंधित वर्तमान में अस्तित्व में एक मात्र शासनादेश जो कि 11 मई 2018 को जारी किया गया था का संज्ञान न लेते हुये अतिक्रमित हो चुके पूर्व के शासनादेश के अनुसार जांच की और अपनी गलत और फर्जी जांच रिपोर्ट मो० ओबैदुल्लाह अंसारी को सौंपी.उक्त फर्जी जांच रिपोर्ट का परिक्षण किये बिना ही मो० ओबैदुल्लाह अंसारी ने 30 जनवरी 2024 को सचिव आपदा प्रबंधन को रिपोर्ट सौंप दी, सचिव आपदा प्रबंधन रंजित सिन्हा ने 03 मई 2024 को एक आदेश निर्गत किया कि जांच समिति की अनुशंसा के अनुसार गलत वेतन प्राप्त कर रहे चार कार्मिकों के वेतन का पुनर्निर्धारण किया जाये।
मो० ओबैदुल्लाह अंसारी ने 31 मई 2024 को जारी आदेश के द्वारा चारों कार्मिकों के वेतन का पुनर्गठन करवाया जिसमें उन्होंने डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कार्यरत कार्मिकों मोहन सिंह राठौर और गोविन्द सिंह रौतेला के वेतन का पुनर्गठन फिर से 4200 ग्रेड वेतन के अनुसार निर्धारित कर दिया है।
मो० ओबैदुल्लाह अंसारी ने इन कार्मिकों के वेतन का पुनर्गठन करते हुए भी 11 मई 2018 को जारी किये गये पुनर्गठित शासनादेश का संज्ञान नहीं लिया और अतिक्रमित हो चुके शासनादेश 30 अप्रैल 2004 और 13 दिसम्बर 2016 का संज्ञान लिया जो कि पूर्णतः गैरविधिक है, इस पूरे प्रकरण में मो० ओबैदुल्लाह अंसारी और वरिष्ठ प्रशानिक अधिकारी राकेश मोहन खंकरियाल की भूमिका संदेहास्पद है।
जुगरान ने कहा है कि यदि वित्त विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग तत्काल इस वेतन घोटाले पर कार्यवाही करके गलत वेतन का पुनर्गठन 11 मई 2018 के शासनादेश के अनुसार नहीं करते हैं और इन कार्मिकों को अधिक और गलत वेतन के रूप में दिये गये 01 करोड़ 50 लाख रुपय की रिकवरी नहीं करते हैं तो वे इस वेतन घोटाले के विरुद्ध उच्च न्यायालय में वाद दायर करेंगे तथा वित्त विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग के पूर्व व वर्तमान अधिकारियों को नामजद पक्षकार बनायेंगे।