पुरोला, मई 2025! नीरज उत्तराखंडी
“चिराग तले अंधेरा” कहावत मोरी विकासखंड के सुदूरवर्ती गांवों पर सटीक बैठती है। एक ओर जहां उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए इन क्षेत्रों की सदानीरा नदियों पर बांध बनाकर विद्युत उत्पादन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गंगाड़, पवाणी, ओसला और ढाटमीर गांव के छारामोटी तोक के ग्रामीण बिजली के अभाव में अंधेरे में जीवन यापन को मजबूर हैं।
महीनों से अंधेरे में हैं ग्रामीण
मोरी विकासखंड की बड़ासू पट्टी के इन गांवों में कई महीनों से बिजली आपूर्ति ठप है। न घरों में रोशनी है, न स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाएं। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार शिकायतों और ज्ञापन देने के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
“ऊर्जा प्रदेश” में बिजली का संकट
विडंबना यह है कि जिस धरती ने जल, जंगल और जमीन का योगदान देकर उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, वहीं के स्थानीय निवासी आज बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी बेटियाँ तक आज सरकारी विभागों में जिम्मेदार पदों पर कार्यरत हैं, लेकिन उनका अपना गांव अब भी अंधकार में डूबा हुआ है।
एसडीएम को सौंपा गया ज्ञापन
ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर बिजली बहाली की मांग की है। उन्होंने चेताया कि यदि जल्द समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
विधायक ने दिया आश्वासन
इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक दुर्गेश्वर लाल ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है और वे शीघ्र संबंधित विभाग एवं प्रशासन से वार्ता कर समस्या का समाधान करवाएंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही प्रभावित क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बहाल की जाएगी।
अधिकारी नहीं आए संपर्क में
समस्या को लेकर जब विद्युत विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। इससे ग्रामीणों में विभागीय उदासीनता को लेकर गहरी नाराजगी है।
ऊर्जा उत्पादन में योगदान देने वाले इन क्षेत्रों के ग्रामीण जब खुद बिजली से वंचित रह जाते हैं, तो यह प्रशासनिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या स्थानीय प्रशासन और सरकार वाकई में इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए जमीनी स्तर पर समाधान कर पाते हैं, या यह समस्या भी केवल आश्वासनों तक ही सीमित रह जाएगी!