काशीपुर। उत्तराखंड में महिला सुरक्षा को लेकर निरंतर आंदोलनों और प्रयासों के बावजूद राज्य में गंभीर महिला अपराधों के आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2022 से 2024 के बीच उत्तराखंड में कुल 3044 गंभीर महिला अपराध दर्ज किए गए, जिनमें 2583 बलात्कार, 327 महिला अपहरण और 134 दहेज हत्या शामिल हैं। हालांकि, वर्ष 2024 में 2022 की तुलना में महिला अपराधों में 5% की कमी दर्ज की गई है, जो मामूली राहत की बात है।
आरटीआई से मिला चौंकाने वाला खुलासा
यह जानकारी काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से आरटीआई के तहत प्राप्त हुई है। पुलिस मुख्यालय की लोक सूचना अधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) शाहजहां जावेद खान ने पत्र संख्या 586/2024 के माध्यम से वर्ष 2022, 2023 और 2024 के गंभीर महिला अपराधों का तुलनात्मक विवरण साझा किया है।
वार्षिक अपराध आंकड़े (2022-2024)
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वर्ष 2022: 918 बलात्कार, 86 महिला अपहरण, 62 दहेज हत्या — कुल 1066 गंभीर महिला अपराध
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वर्ष 2023: 843 बलात्कार, 77 अपहरण, 47 दहेज हत्या — कुल 967 अपराध
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वर्ष 2024: 822 बलात्कार, 164 महिला अपहरण, 25 दहेज हत्या — कुल 1011 अपराध
निष्कर्ष: 2022 की तुलना में 2024 में गंभीर महिला अपराधों में 5% की कमी देखी गई है।
जिलेवार आंकड़े — कहां सबसे ज्यादा खतरा?
बलात्कार के सर्वाधिक मामले:
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हरिद्वार: 682 मामले
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उधमसिंह नगर: 654
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देहरादून: 559
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नैनीताल: 270
अन्य जिलों में बलात्कार के मामलों की संख्या 10 से 70 के बीच रही।
महिला अपहरण के मामले:
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देहरादून: 109
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उधमसिंह नगर: 55
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हरिद्वार: 48
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टिहरी गढ़वाल: 28
अन्य जिलों में अपहरण के मामले कम रहे।
दहेज हत्या के मामले:
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हरिद्वार: 47
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उधमसिंह नगर: 32
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देहरादून और नैनीताल: 16-16
अन्य जिलों में दहेज हत्या के मामले सीमित संख्या में दर्ज हुए।
विशेषज्ञों की राय:
महिला अधिकारों के लिए सक्रिय संगठनों का कहना है कि ये आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तराखंड जैसे शांत समझे जाने वाले राज्य में भी महिला सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। वे चाहते हैं कि सरकार और पुलिस मिलकर संवेदनशील जिलों में महिला सुरक्षा पर विशेष योजना बनाकर काम करें।
उत्तराखंड में तीन वर्षों के दौरान बलात्कार, महिला अपहरण और दहेज हत्या जैसे अपराधों की बड़ी संख्या यह स्पष्ट करती है कि महिला सुरक्षा को लेकर ठोस रणनीति और प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत है। हालांकि, अपराधों में आंशिक गिरावट राहत देती है, लेकिन जमीनी स्तर पर जागरूकता और कानून के सख्त पालन की सख्त दरकार है।