अरविंद नौटियाल
टिहरी। जिले के मरीजों के लिए बेहतर इलाज के लिए टिहरी जिले के सबसे बड़े अस्पताल बौराड़ी को पीपीमोड पर हिमालयन हाॅस्पिटल जौलीग्रांट को दिया गया था, ताकि मरीजों को अच्छे से इलाज हो सके, लेकिन यह अस्पताल जब से पीपीमोड में दिया गया, तब से ही विवादों में रहता है।
वर्तमान समय में पूरे अस्पताल को कोरोना वार्ड में तब्दील किया गया है और जब भी कोई सामान्य मरीज इलाज के लिए यहाँ आता है तो पीपीपी मोड के तहत अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी इलाज करने में आनाकानी करते हैं।
आज 70 किलोमीटर दूर नगुण (कंडीसौड़) से बौराड़ी अस्पताल में एक महिला तारा देवी इलाज के लिए आई थी, जिसका कुछ दिन पहले बच्चा मिसकैरिज हो गया था। जो दर्द से पीड़ित थी, लेकिन हद तब हो गई जब बौराड़ी अस्पताल प्रबंधन ने इलाज करने से मना कर दिया और पीड़ित महिला अस्पताल के बाहर ही दीवार के सहारे जमीन पर बैठी रही। महिला को कहा गया कि महिला का इलाज बौराड़ी अस्पताल में नहीं किया जा सकता है, इनको किसी और अस्पताल में ले जाओ।
वहीं एक छोटा बच्चा आरुष की हाथ की हड्डी टूटने की वजह से इलाज के लिए आये थे। उसका भी यहाँ इलाज नहीं किया गया। हालांकि मीडिया के हस्तक्षेप के बाद महिला का अल्ट्रासाउंड किया गया और बच्चे का एक्सरे किया गया।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यहां पर क्यों इलाज नहीं किया जा सकता, इसके बारे में आप सीएमओ टिहरी से पूछो।
वहीं जिला चिकित्साअधिकारी डॉ. मीनू रावत ने कहा कि बौराड़ी अस्पताल को पूरा कोरोना वार्ड में परिवर्तन कर दिया गया है और अब जो भी मरीज आएगा, उसके इलाज के लिए नई टिहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में व्यवस्था कर रहे हैं और प्रसव महिलाओं के लिए चम्बा अस्पताल में सुविधा की जा रही है। जल्दी ही जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है।