- तीन विशिष्ठ जनों को सम्मानित किया
देहरादून।उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने आज प्रेस क्लब में प्रद्युम्नशाह नव संवत्सर 2075 कैलेंडर का विमोचन किया और तीन विशिष्ट जनोंइतिहासकार डॉ यशवंत सिंह कटोच, लेखक श्री मनी राम बहुगुणा, पर्यवारणकार्य कर्ता श्री चंदन सिंह नेगी को प्रधुम्न सम्मान से सम्मानित किया। कैलेंडरमें प्रधुम्न शाह की खुड़बुड़ा देहरादून में समाधि के चित्र तथा खुड़बुड़ा युद्धमें शहीद हुए 83 वीर सेनापतियों के नाम उल्लेखित हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस विमोचन व सम्मानसमारोह में कहा कि प्रदुम्न शाह की वीरता का सरकार सम्मान करेगी। खुड़बुड़ा में जो प्रधुम्न शाह की समाधि है उसका जीर्णोद्धार किया जायेगा।टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी ने पांच लाख रुपये समाधि के जीर्णोद्धारके लिए दिए हैं उस पैसे को महंत देवेंद्र दास जी से सहमति लेकर कामकराया जायेगा। जरुरत पड़ी तो उत्तराखंड संस्कृति विभाग समाधि के लिएपैसे देगा। प्रधुम्न शाह की मूर्ति समाधि स्थल में ही लगेगी।
कार्यक्रम केआयोजक शीशपाल गुसाईं की प्रसंशा करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने कहाकि यह अच्छा है कि इतिहास की ढूंढ हो रही है और वीर लोग समाज केसामने आ रहे। नई पीढ़ी को 200 साल पुरानी इतिहास की जानकारीमिल रही है, उन्हें इसका लाभ लेना चाहिए। समिति ने मंत्री से मांग की कितिब्बती मार्किट चौक में प्रधुम्न शाह की मूर्ति लगे।जिस पर मंत्री ने कहाकि शहरी विकास विभाग से पता कर इस बारे में विचार करेंगे। उच्च शिक्षामंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रधुम्न सम्मान से तीन विशिष्ट जनों कोसम्मानित किया। इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कटोच की अनुपस्थिति मेंसुरेंद्र सिंह सजवाण लेखक मनीराम बहुगुणा की अनुपस्थिति में श्री राजेंद्रकाला और पर्यावरणविद्ध चन्दन सिंह नेगी को शाल ओढ़ाकर प्रसस्ति पत्रदिया गया। 93 वर्षीय मनीराम बहुगुणा आज सुबह जोहरी अस्पताल मेंभर्ती हो गए थे। राजेंद्र काला ने यह सम्मान अस्पताल में जाकर सौंपा।
इस मौके पर शहीद प्रधुम्न शाह स्मारक समिति के अध्यक्षशीशपाल गुसाईं ने बताया कि कैलेंडर विमोचन करने का मकसद यह है किपूरे संवत वर्ष में शहीद महाराजा प्रधुम्न को न्याय मिले। श्री गुसाईं ने कहाकि 1804 का खुड़बुड़ा ऐतिहासिक युद्ध प्रदुम्न शाह द्वारा राज्य को बचायेरखने के लिए लड़ा गया था। उन्होंने यह भी बताया कि राजा तो कई हुए हैं,लेकिन परदुम्म राज्य के लिए बलिदान हो गए। उन्होंने कहा कि नव संवत2075 में परदुम्म के नाम से जगह-जगह स्वच्छता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ पौधे लगाए जाएंगे। स्कूली बच्चों के लिएअवेयरनेस कार्यक्रम चलाए जाएंगे। हर वर्ष नव संवत को अपने अपने फील्डके हस्तियों को परदुम्मन सम्मान दिया जाएगा। श्री गुसाईं ने कहा समितिखुडबुड़ा में परदुम्म की समाधि में कार्यक्रम करतें रहते हैं। आज़ादी दिवस मेंझंडा फहराया जाता है। गौरतलब है खुडबुड़ा में प्रदुमन की समाधि है। जहाँ वे1804 में गोरखों के साथ युद्ध मे शहीद हो गए थे। उनके साथ 83 लोग जोप्रमुख सेनानी थे। वे भी शहीद हो गए थे। उनके नाम कैलेंडर में दिए गए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ योगम्बर सिंह बर्थवाल ने की। बर्थवालने कहा कि प्रदुमन हमारे लिए 200 साल पहले खुडबुड़ा में लड़े। यह हमारेलिए गर्व की बात है। उनकी शहर में मूर्ति लगनी चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. योगम्बर सिंह बर्थवाल ने की। उन्होंनेकहा कि प्रधुम्न का सम्मान करना हम सबका सम्मान है। बयोबृद्ध बनमालीपैन्यूली ने समारोह में श्रीनगर से लेकर खुड़बुड़ा तक प्रदुम्न शाह की यात्रा केबारे में बताया। कहा कि शाह अपनी सेना को लेकर श्रीनगर से देहरादून आयेथे और अंतिम समय तक राज्य के लिए लड़ते रहे। मनोहर सिंह रावत ने प्रधुम्नवीरगाथा पढ़ी।
परदुम्म सम्मान पाने वाले व्यक्ति यो का एक परिचय
1- डॉ यशवंत सिंह कटोच ,(83) का 31 दिसम्बर 1935 को मासों चाँदकोट पौड़ी गढ़वाल में मकर सिंह के घर जन्म हुआ। 14 साल अशासकीयकॉलेज, में 1970 से 1995 तक राजकीय सेवा में लेक्चरर से लेकरप्रधानाचार्य रहे। 1970 में वे इलाहाबाद लोक सेवा आयोग से लेक्चरर मेंनिकले।उनकी अभी तक 10 किताबें पब्लिस हुई।
1 में मध्य हिमालय का पुरातत्व 1981 में
2 में सस्कृति के पद चिन्ह (मध्य हिमालय की भाग-1) 1986
3 मध्य हिमालय की कला खंड दो
4 उत्तराखंड का नवीन इतिहास ( मध्य हिमालय खंड-3)
5 सिंह भारती
6 सिंह ग्रन्थावली
7 उत्तराखंड की सैन्य परम्परा
8 रतूड़ी रचित गढ़वाल का इतिहास(शोध और संपादन द्वतीय संस्करण)
9 एट किन्शन का हिमालय इतिहास ( शीघ्र बाजार में आएगी)
इसके अलावा कई शोध लेख प्रकाशित। इतिहास और पुरात्तव में मौलक योगदान।
2- श्री मनी राम बहुगुणा, (93) लेखक
साबली रानीचौरी टिहरी में 26 जून 1925 को जीत राम बहुगुणा के घर जन्म।राजा नरेन्द्र शाह की कोर्ट में सर्विस करते थे। उनकी 5 किताब आई है।
1- गढ़ राज शाशन की यादें
2- सिद्ध पीठ पुनस्यानी
3-टिहरी आद्योयोपांत
4- गढ़वाल एक परिचय
5- जीवन के चिर समरनीय पलो की श्रीखला
1995 में उद्यान विभाग से रिटायर्ड। 30 से लेकर 50 तक की घटनाओं केगवाह।
3- श्री चंदन सिंह नेगी, (62) पर्यावरण कार्यकर्त्ता
श्री एम एस नेगी के घर 20 मार्च 1956 को सिमल गांव , चौख टिया ब्लॉक ,अल्मोड़ा में हुआ। लेकिन करीब 45 साल से कौला गढ़ देहरादून में रहते हैं।20 साल से 20 हज़ार फल दार पेड़ लगाए हैं। बगैर सरकारी मदद के। ग्रीनबैंक अपने घर में बनाओ, इस कार्यक्रम को इन दिनों चला रहे हैं।
1 ये कैसी राजधानी है गीत 2010 में गया। जो आजकल बहुत प्रासंगिक है।
2- जनगीत संग्रह राज्य आंदोलन 1995
3- पेड़ पर ठहरी सांसें 2017
इस मौके पर ठाकुर भवानी प्रताप सिंह पंवार, आशीष रतूड़ी,राजेंद्र काला, दिनेश सेमवाल, धीरज नेगी, सूरवीर सिंह रावत, बनमालीपैन्यूली, निर्पेन्द्र सिंह बोरा, ध्रुव सिंह बिष्ट, हरिओम ओमी, सुरेंद्र सिंह सजवाण, चंद्र दत्त सुयाल , सत्यदेव असवाल, गोविन्द सिंह बिष्ट, दिगंबर सिंह नेगी, धीरज सिंह नेगी, जयमल सिंह नेगी, दिनेश नेगी, बिजेंद्र रावत, शंकर सिंह भाटिया, योगेश भट्ट, रामलाल खंडूरी, प्रदीप कुकरेती, प्रकाश रमोला, कल्याण सिंह रावत, अर्जुन सिंह बिष्ट सहित डेढ़ सौ लोग मौजूद थे।