भूपत सिंह बिष्ट
गढ़वाल लोकसभा सीट इस बार इतिहास रचने जा रही है। भाजपा के वरिष्ठतम नेता पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूडी ने 10वीं, 12वीं, 13वीं, 14वीं और विगत 16 वीं लोकसभा में गढ़वाल सीट से 1991 में पहली बार और अब तक पांच बार निर्वाचित होने का गौरवशाली रिकार्ड कायम किया है। जनरल खंडूडी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी केंद्र सरकार में भूतल और सड़क मंत्रालय में सफल केबिनेट मंत्री भी रहे हैं।
जनरल खंडूडी की बेटी रितु खंडूडी भूषण यमकेश्वर विधान सभा सीट से वर्तमान भाजपा विधायक है और भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत की प्रस्तावक भी बनी है।
उधर जनरल खंडूडी का बेटा मनीष खंडूडी मोदी के खिलाफ बगावत कर चुका है और अब कांग्रेस के टिकट पर गढ़वाल लोकसभा सीट पर भाजपा को खुली चुनौती देने उतरा है। मनीष खंडूडी बिजनेस और कामर्स विषयों के प्रखर पत्रकार हैं और विदेश में अध्ययन कर दिल्ली और मुंबई में सक्रिय रहे हैं। पत्रकार और जनरल खंडूडी के पुत्र होने के नाते राहुल गांधी ने इस सीट पर भाजपा को उलझाने का दाव खेला है। निसंदेह भाजपा के लिए यह परिस्थिति बड़ी क्षोभ जनक है। आज पार्टी में वरिष्ठतम नेताओं के असंतोष और सम्मान न पाने के मामले जग – जाहिर हो रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक चैबटाखाल तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक कैरियर जनरल खंडूडी की छत्रछाया में ही पनपा है। उत्तराखंड से लेकर दिल्ली के गलियारों में तीरथ सिंह रावत को जनरल खंडूडी के सबसे विश्वस्त और करीबी सिपाही के रूप में जाना जाता है। जनरल खंडूडी भारी पेशोपश में हैं कि इस चुनाव में पार्टी का साथ दें या अपने सगे बेटे का।
मनीष खंडूडी को मां का तो खुला समर्थन है, जबकि बहिन रीतु खंडूडी को अपनी विधानसभा यमकेश्वर में अपने भाई को हराने के लिए मैदान में सक्रिय रहना है ताकि पार्टी में इस परिवार पर भीतरघात का आरोप न लग सकें।
2014 के गढ़वाल लोकसभा चुनाव में जनरल बी सी खंडूडी ने कांग्रेस के दिग्गज हरक सिंह रावत को एक लाख अस्सी हजार से अधिक मतों से पराजित करने का रिकार्ड बनाया है। हरक सिंह रावत सभी 14 विधान सभा क्षेत्रों में पराजित हुए – कोटद्वार में यह अंतर 23 हजार से ज्यादा, नरेंद्रनगर में 18 हजार से ज्यादा, देवप्रयाग में 15 हजार से ज्यादा, यमकेश्वर और रामनगर विधानसभा में यह अंतर 14 हजार से अधिक रहा है।
2014 के आंकडे़ कहते हैं कि गढ़वाल सीट पर 54 प्रतिशत मतदान हुआ और भाजपा को 59 प्रतिशत और कांग्रेस को 32 प्रतिशत मत मिला। हरक सिंह रावत को सबसे अधिक मत पौड़ी विधान सभा में 39 प्रतिशत, बद्रीनाथ – चैबटाखाल – रामनगर में 36 प्रतिशत, श्रीनगर और लैसंडाउन में 35 प्रतिशत, रूद्रप्रयाग में 29 प्रतिशत, नरेंद्रनगर में 25 प्रतिशत और सबसे कम देवप्रयाग में 24 प्रतिशत मिला था।
जनरल खंडूडी को कुल डाले गये मतों में सबसे अधिक मत नरेंद्रनगर में 68 प्रतिशत, देवप्रयाग में 67 प्रतिशत, कोटद्वार में 66 प्रतिशत और सबसे कम पौड़ी विधान सभा में 54 प्रतिशत मत मिले थे। अब तीरथ सिंह रावत और मनीष खंडूडी के बीच जनरल भुवन चंद्र खंडूडी की विरासत संभालने का घमासान शुरू हो चुका है। शुक्रवार 22 मार्च को नामांकन करते ही पौड़ी के रामलीला ग्रांउड में हुई जनसभा को मुख्यमंत्री त्रिवंेद्र सिंह रावत ने सम्बोधित किया। जहां नरेंद्रनगर के विधायक सुबोध उनियाल, देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी, कोटद्वार के विधायक हरक सिंह रावत, श्रीनगर विधायक धन सिंह रावत, लैंसडाउन विधायक दिलीप सिंह रावत, यमकेश्वर विधायक रीतु खंडूडी, पौड़ी विधायक मुकेश कोली, बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट, कर्णप्रयाग विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, रूद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चैधरी और थराली विधायक श्रीमती मुन्नी देवी और पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम चुनावी रैली में मौजूद रहे।
इस अवसर पर सतपाल महाराज कैबिनेट मंत्री और चैबटाखाल भाजपा विधायक की अनुपस्थिति खलती रही क्योंकि सतपाल महाराज को नामांकन में पहुंचने के लिए हैली व्यवस्था थी। कांग्रेस से दल बदलकर आये सतपाल महाराज को भाजपा ने 2017 में चैबटाखाल से अपने प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया था। अब महाराज को तीरथ सिंह रावत के लोकसभा नामांकन के लिए प्रस्तावक बनाया गया था। सतपाल महाराज की इस नाराजगी का परिणाम 11 अप्रैल के मतदान और 23 मई की मतगणना के बाद उभर कर आने वाला है।