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 कुर्सी पर हकीम वही है

शिव प्रसाद सेमवाल

जनता ने कुछ सोचा होगा,
मोदी की जो लहर बही है।
सबने सोचा, कुछ तो होगा,
आखिर ये सरकार नई है।।

हरदा के कुनबे से भागी,
आधी तो फिर टीम वही है।
रेता-बजरी-दारू पर,
इसकी भी तो थीम वही है।।

कैंसर के इलाज के दावे,
पेट दरद की गोली से।
कहीं भली है कटुक निबोली,
वादों की इन बोली से।।

वैद्य बदलकर होगा क्या जब,
जड़ी-बूटियां, नीम वही है।
सचिवालय के चौथे तल की,
कुर्सी पर हकीम वही है।।

चप्पा-चप्पा बीजेपी की,
गुण्डागर्दी जारी है।
भय और भ्रष्टाचार से भारी,
‘अब सरकार हमारी है।।’

नए नवेले मुखिया ने जो,
टोलरेंस की बात कही है।
लगता है वो बीजेपी के,
नेता के मन बहुत भई है।।
उत्साही छुटभैये तो फिर,
देखो कितने नॉनसेंस हैं।
ये जो बोले, वही सही है,
वरना जीरो टोलरेंस है।।

चोले बदले परिवर्तन में,
चेहरा-चरित्र-चाल वही है।
आम आदमी के सुख-दुख का,
कोई पुरसाहाल नहीं है।।

कांग्रेस की बी टीम की,
काम की शैली, काज वही है।
लोगों को बहलाने के फिर,
सुर वही है, साज वही है।।

वही पुरानी किचन कैबिनेट,
चूल्हा-चौका दाल वही है।
वही पुराने तौर-तरीके,
तलवारें और ढाल वही है।।

एक ही दरिया-एक नजरिया,
नौका-चप्पू-पाल वही है।
उकसाने को, फुसलाने को,
दाना-चुग्गा-जाल वही है।।

अभी नहीं छूटा जो इनका,
कांग्रेस को कॉपी करना।
दो साल में इनका भी फिर,
होने वाला हाल वही है।।

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