गिरीश गैरोला/उत्तरकाशी
गंगोत्री मे घाट निर्माण की कोई योजना नहीं
गंगोत्री मंदिर की तरफ सुरक्षा दीवार के बाहर से जैकेटिंग करने तक सीमित है सिंचाई विभाग
नमामि गंगे का पहला प्रणाम होता है गंगोत्री मे
केदार नाथ की तर्ज पर एनआईएम जैसे संस्थाओ को गंगोत्री मे उतारने की उठी मांग। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम और गंगा सफाई के लिए बनी नमामि गंगे योजना का पहला नमन जिस गंगोत्री धाम मे होना है, वहाँ आपदा मे बहे घाटों के निर्माण की फिलहाल कोई योजना नहीं है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता
प्रेम सिंह पँवार ने बताया कि पिछली आपदा के दौरान गंगोत्री मंदिर की तरफ से सुरक्षा दीवार के ऊपर से उफनती गंगा का जल, मलवे के साथ ओवर फ़्लो कर गया था। लिहाजा मंदिर समिति और पांडा समाज की सिफ़ारिस पर मंदिर की तरफ की सुरक्षा दीवार पर अतिरिक्त सुरक्षा के लिए जैकेटिंग की जा रही है। इसे एक मीटर ऊंचा उठा लिया जाएगा ताकि नदी का जल स्टार बढने अथवा बाढ़ जैसे हालत मे मंदिर को कोई खतरा न हो। इसके लिए 132 मीटर लंबाई मे से 117 मीटर पर काम हो चुका है।उन्होने बताया कि गंगोत्री मे घाट निर्माण की कोई योजना उनके पास नहीं है।घाट निर्माण की डीपीआर भारत सरकार को भेजी गयी थी जिसकी अभी तक कोई स्वीकृति नहीं मिल सकी है।
गौरतलब है कि गंगोत्री धाम मे आपदा के बाद से घाट बह गए अथवा क्षतिग्रस्त हो गए थे। स्नान घाट के पर बड़े – बड़े बोल्डर और पत्थर बिखरे पड़े है, जिसके चलते वह स्नान करने के लिए कतई सुरक्षित नहीं है। स्नान करते समय पकड़ने के लिए कोई जंजीर भी नहीं है। जिसके चलते कई बार श्रद्धालु स्नान के दौरान पैर फिसलने के कारण गंगा की तेज धार मे बह गए है।केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु के गंगोत्री दौरे मे भी स्नान घाट पर अव्यवस्था दिखी थी और खुद केन्द्रीय मंत्री और उनके परिवार को स्नान घाट पर पकड़ – पकड़ कर लेकर जाना पड़ा था । टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने भी उस वक्त इस पर नाराजी जताई थी।
नमामि गंगे परियोजना पूरी गंगा को प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ करने के लिए चर्चाओं मे है किन्तु गंगा के उद्गम मे ही गंगा घाट को सुरक्षित करने के लिए कोई योजना न होने से गंगा के उदगम को लेकर सरकार की संवेदनहीनता का पता चलता है ।गंगोत्री व्यापार मण्डल के अध्यक्ष सतेन्द्र सेमवाल ने घाट के पास जमा गाद – पत्थर और बोल्डर को हटाने की मांग प्रशासन से की है। जिसके जबाब मे सिंचाई विभाग का कहना है कि घाट मे जमा गाद और रोड़े पत्थरों को हटाने के लिए न तो उनके पास डम्पिंग ज़ोन है और न घाट तक मशीन ले जाने के लिए उपयुक्त स्थान ही उपलब्ध है। हालांकि जब विभाग से पूछा गया कि सुरक्षा दीवार के लिए नींव सीधे गाद के ऊपर निर्मित कर दी गयी! या गहराई मे खोद कर बनाई गयी! और यदि नींव खोदी गयी तो कैसे खोदी गयी! तब अधिकारी अपने जुबान से पलट गए और उन्होने स्वीकार किया कि सुरक्षा दीवार की नींव खोदने के लिए जेसीबी मशीन को घाट तक उतारा गया था।अधिकारियों के बहाने से भरे ऐसे ही जबाब के बाद गंगोत्री व्यापार मण्डल ने गंगोत्री धाम मे निर्माण कार्य केदारनाथ की तर्ज पर एनआईएम जैसे संस्थाओ को देने की वकालत सरकार से की है।
गंगा सफाई और गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर कई एनजीओ काम कर रहे है।गंगा सफाई परियोजना , स्पर्श गंगा और नमामि गंगे जैसी परियोजनाओं के बाद भी गंगा के उद्गम को अपनी दुर्दशा के लिए सरकारी नुमाइंदों के पास रोना पड़ रहा है। गंगोत्री मे स्नान का बड़ा ही महत्व है और यदि वहां स्नान करना ही सुरक्षित नहीं है तो धाम मे निर्माण कार्य के लिए केदारनाथ की तर्ज पर एनआईएम जैसी संस्थाओं की मांग उठना लाज़मी है।