शुक्रवार को उत्तराखंड सचिवालय में कैबिनेट की बैठक थी।कैबिनेट में दो विषय लाए गए। पहला विषय आबकारी नीति में संशोधन का था तथा दूसरा विषय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में छात्रों की फीस के कोटे को लेकर था।
गौरतलब है कि कैबिनेट में एजेंडा क्या है, इसकी किसी को खबर ही नहीं थी। पत्रकार भी बैठक से पहले अपना समय कयासबाजी में ही गुजार रहे थे। कोई स्कूल फीस के रेगुलराइजेशन को लेकर कैबिनेट बैठक बुलाए जाने की बात कर रहा था तो कोई निकाय चुनाव के विषय में कैबिनेट बैठक बुलाए जाने के कयास लगा रहा था।
किंतु इन सब से परे सचिवालय में डेढ़ दर्जन आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा के छात्र छात्राओं को पहले से ही पता था कि उनका विषय आज कैबिनेट बैठक में लाया जाने वाला है।
वह इस विषय में बातचीत भी कर रहे थे।
कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बैठक की जानकारी के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब यह बात कही कि यहां बैठे मेडिकल के छात्र छात्राओं को राहत देने के लिए आज के कैबिनेट बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है, तब यह राज खुला कि कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने उन छात्र-छात्राओं को आज के कैबिनेट एजेंडे के विषय में पहले ही जानकारी दे दी थी। इसीलिए वे उत्सुकतावश सचिवालय में आए हुए थे। वह प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रेस दीर्घा में ही बैठे रहे।
अहम सवाल यह है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार तथा सचिवालय प्रशासन के प्रमुख सचिव आनंदवर्धन ने एक सुर में पत्रकारों की सचिवालय में और अनुभागों में एंट्री बैन कर दी थी। इसके पीछे उन्होंने यही तर्क दिया था कि कैबिनेट में लाए जाने वाले विषय पहले ही पत्रकारों को लीक हो जाते हैं इसलिए पत्रकारों की एंट्री अनुभागों में बैन कर दी जाए।
सवाल यह है कि एक ओर सरकार को कैबिनेट में लाए जाने वाले विषयों की इतनी चिंता है तो दूसरी ओर कैबिनेट के विषयों को उनका अहम कैबिनेट मंत्री पहले ही लीक कर देता है।
इससे इस बात की भी पुष्टि हो जाती है कि पत्रकारों की एंट्री कैबिनेट के एजेंडे के लीक होने के कारण नहीं बल्कि सरकार की किरकिरी करने वाली कुछ खबरों के मिल जाने के डर से बैन की गई थी।
बहरहाल कैबिनेट में यह निर्णय लिया गया था कि हरिद्वार स्थित गुरुकुल तथा ऋषि कुल कॉलेजों में वर्ष 2017-18 में MD और MS की कक्षाओं के लिए सरकार ने एक विज्ञापन निकाला था, जिसमें सीटों के सरकारी कोटे अथवा स्ववित्तपोषित होने के बारे में कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गई थी।
स्टूडेंट के एडमिशन लेने के बाद इन कॉलेजों ने सभी सीटों को स्ववित्तपोषित घोषित कर दिया था। इसको लेकर छात्र आंदोलनरत थे। उनका कहना था कि यदि सरकार पहले ही यह स्थिति स्पष्ट कर देती तो वह अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कहीं और एडमिशन लेने के बारे में निर्णय कर सकते थे।
स्टूडेंट की समस्या को समझते हुए सरकार ने आज की कैबिनेट में यह निर्णय लिया कि आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय को इस बात के लिए अधिकृत कर दिया जाए कि वह जल्दी ही स्टूडेंट के हित में कोई निर्णय कर सके।
सरकार ने यह निर्णय लेकर अपनी पिछली गलती को सुधारा है। फिर भी यह सवाल अपनी जगह कायम है कि इन विद्यार्थियों को आखिर किसने यह बता दिया कि आज कैबिनेट में उनसे संबंधित विषय को रखा जाएगा और वह बाकायदा सचिवालय के मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दीर्घा में भी मौजूद थे। और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक अपनी प्रेस वार्ता के दौरान यह स्वीकार कर रहे थे कि आज यहां मौजूद छात्रों के विषय पर भी सरकार ने संवेदनशीलता के साथ फैसला किया है। कैबिनेट की गोपनीयता भंग किए जाने को लेकर कैबिनेट मंत्री की गंभीरता पर यह एक सवालिया निशान तो है ही।