भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को भी सरकारी बंगला आवंटित किए जाने के बाद रूलक सामाजिक संगठन ने पार्टी अध्यक्षों को सरकारी बंगला आवंटित किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी कर ली है
उत्तराखंड में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है।
लोग कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के इस कदम पर हैरत में है। पाठकों को याद होगा कि रूलक की ही जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित बंगले सहित समस्त सभी सुविधाएं खारिज कर दी थी। रूलक के संस्थापक अवधेश कौशल का कहना है कि जनता की गाढ़ी कमाई से दिए जा रहे टैक्स के पैसे पर इस तरह की मनमानी कतई उचित नहीं है।
गौरतलब है कि सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को यमुना कॉलोनी में सरकारी बंगला आवंटित किया हुआ है। इसका आवंटन नियमों के विरुद्ध है। कांग्रेस ने इस नियम विरुद्ध आवंटन के खिलाफ तो कोई सवाल नहीं खड़ा किया, उल्टा इसी को नजीर बनाते हुए प्रीतम सिंह ने भी अपने लिए यमुना कॉलोनी में ही एक सरकारी बंगला आवंटित किए जाने के लिए आवेदन कर दिया।
मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रीतम को भी राज्य संपत्ति विभाग ने यमुना कॉलोनी का सरकारी बंगला ए टू आवंटित कर दिया है।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि प्रीतम सिंह कल सचिवालय में चौथे माले पर भी एक ऑफिस की मांग कर बैठे और मुख्यमंत्री उन्हें एक कक्षा आवंटित कर भी दे तो ऐसे कदमों से कांग्रेस पार्टी का कैसा संदेश जनता के बीच जाएगा!
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के इस तरह के कदमों से उनकी मित्र विपक्ष की भूमिका बनती जा रही है। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र की नौकरी को लेकर उनके नरम रवैये पर भी पार्टी के अंदर ही सवाल खड़े हो गए थे।
शांत और नरम स्वभाव के लिए परिचित प्रीतम सिंह द्वारा सरकारी बंगले के लिए आवेदन करना, किसी के गले नहीं उतर रहा है।
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन CM विजय बहुगुणा ने भी तत्कालीन बसपा अध्यक्ष मेघराज सिंह जरावरे को यमुना कॉलोनी के सिंचाई विभाग का एक आवास आवंटित कर दिया था तो इस पर भी काफी बवाल मचा था और आखिरकार उन्हें यह आवंटन निरस्त करना पड़ा था।
कोर्ट में इन आवंटनों के खिलाफ जनहित याचिका हो जाने के बाद से कांग्रेस तथा भाजपा दोनों पार्टियों की किरकिरी होनी तय है।