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पर्वतीय राज्य उत्तराखंड को ध्यान में रखकर बनेगा नया कानून

भूपेंद्र कुमार

राज्य विधि आयोग की बैठक में निर्णय लिया गया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पर्वतीय राज्य उत्तराखंड को ध्यान में रखते हुए नए कानून तैयार किए जाने की अति आवश्यकता है। साथ ही यह निर्णय भी लिया गया कि प्रदेश सरकार की अपेक्षा के अनुरूप कार्यों को कार्यान्वित किया जाएगा, जिससे कि आम जन अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकें।
न्यायमूर्ति राजेश टंडन एवं राज्य विधि आयोग केे अध्यक्ष  की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई मुदें पर विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर निर्णय लिया गया कि कुछ ऐसे नए कानून तैयार किए जाने की अति आवश्यकता है, जो सीधे-सीधे आम जनता को त्वरित राहत दे सकें। कुछ दिन पहले एक उच्च न्यायालय का जनमत आया है, जिसमें ज्वाइनल जस्टिस के रूल्स की बात की गई है। अत: ज्वाइनल जस्टिस को सामने रखकर उनके रूल्स पर विचार किया जाना भी आवश्यक है। आर्थिक दृष्टि से पर्वतीय राज्य पर सुझाव देना, नागरिकों के हित की सुरक्षा के संबंध में अभी कुछ दिन पहले कैबिनेट की मीटिंग में १३ नए पर्यटन स्थल घोषित किए गए हैं। इन पर्यटन स्थानों में ऐसा कानून बनाकर शौचालय की व्यवस्था और अन्य सुविधाएं देने के साथ ही पर्यटन के लिए उद्योग की व्यवस्था किया जाना प्रदेश हित में है। केदारनाथ मार्ग पर जो यातायात संबंधी असुविधाएं रही हैं, उन पर कानून बनाकर चारों धामों में मोबाइल एवं चिकित्सा की समुचित व्यवस्था करना भी बैठक में महत्वपूर्ण चिंतन का हिस्सा रहे। इसके अलावा गरीब नागरिकों के लिए लीगल सर्विसेस की उपलब्धियां लीगल अथॉरिटी द्वारा उपलब्ध कराए जाने पर भी गहन चिंतन किया गया।


इस अवसर पर उपरोक्त बिंदुओं के संबंध में उपस्थित विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने-अपने सुझाव भी आयोग को दिए गए। इन सुझावों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्याप्त मोबाइल चिकित्सा सुविधा होनी चाहिए। यात्रियों की सुविधा एवं जीवन रक्षा हेतु यात्रा पूर्व स्वास्थ्य जांच अथवा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना भी आवश्यक बाध्यत रखने की जरूरत पर बल दिया गया। साथ ही यात्रा के दौरान पार्किंग की व्यवस्था, यात्रा में प्रयुक्त घोड़े एवं खच्चरों हेतु अलग मार्ग बनाए जाने की बात भी कही गई, इससे यात्रियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा विधिक प्राधिकरण द्वारा उत्तराखंड में कानूनों से संबंधित व्यवस्था एवं जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के संबंध में नियम आदि की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को प्रस्तुत की जाएगी।


बैठक में न्यायमूर्ति राजेश टंडन, अध्यक्ष (रा.वि.आ.), आरपी पंत विशेष कार्याधिकारी, अब्दुल कय्यूम सविल जज/सचिव उत्तराखंड विधिक प्राधिकरण, मोहित चौधरी जिला कार्यक्रम अधिकारी, डा. एनके पंत संयुक्त सचिव विधि आलेखन, उषा नेगी अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग, मीना बिष्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी, कमल गुप्ता वैयक्तिक सहायक बाल संरक्षण आयोग, विपिन कुमार समीक्षा अधिकारी, एसएस सामंत वरिष्ठ शोध अधिकारी, डा. दयाल सरन एसीएमओ, डा. एसपीएस नेगी अपर निदेशक एडीएच, डा. बीएस नेगी अपर निदेशक स्वास्थ्य उपस्थित थे।

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