इन्स्पेक्टर अरविंद कुमार सहित दर्जन भर पुलिसकर्मियों पर एक दर्जन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने को ग़ाज़ियाबाद में तहरीर। एसएसपी, आईजी के इशारे पर षड्यंत्र का आरोप
कृष्णा बिष्ट
समाचार प्लस के सी ई ओ उमेश कुमार ने अपने खिलाफ स्टिंग प्रकरण में कार्यवाही करने वाले पुलिसकर्मियों पर साजिश रचने जैसी दर्जनभर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए गाजियाबाद थाने में तहरीर दी है।
उमेश कुमार ने कहा है कि इन पुलिसकर्मियों ने एस एस पी और आई जी के इशारे पर कोर्ट को गुमराह करते हुए उनको अरेस्ट किया था तथा कोर्ट से अरेस्टिंग ऑर्डर प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए थे।
उमेश कुमार की इस तहरीर को अब पुलिसकर्मियों पर पलटवार के रूप में देखा जा रहा है। तहरीर में पुलिसकर्मियों पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं। यदि गाजियाबाद पुलिस तहरीर पर मुकदमा दर्ज करती है तो पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ सकती है।
तहरीर में जो सवाल उठाए गए हैं वह वाकई गंभीर हैं और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हैं।
कुछ अहम सवाल
चर्चित स्टिंग प्रकरण में निजी चैनल के सम्पादक उमेश कुमार को गिरफ़्तार करने के लिए कोर्ट से गिरफ़्तारी और सर्च वॉरंट लेने के लिए तैयार किए गए थे फ़र्ज़ी दस्तावेज़।
उमेश कुमार की गिरफ़्तारी और घर की सर्च के लिए 18/08/2018 और 24/08/2018 को वॉरंट मांगा गया था जिनको कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया था।
11 October को सेशन कोर्ट में अपील के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए आईओ अरविंद कुमार ने याचिका दाख़िल करते समय अरविंद कुमार ने याचिका में अरविंद कुमार V/S सरकार पक्ष यानी सरकार v/s सरकार बनाए जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों अनुसार सेशन में अपील के दौरान सम्बंधित पक्ष या directly affected पक्ष जिसके ख़िलाफ़ याचिका दाख़िल की जा रही है , उसको पक्षकार बनाया जाना अनिवार्य है।
उमेश कुमार के एटीएस इंदिरपुरम ग़ाज़ियाबाद स्थित घर पर 91 के वारंट की तामील दिखाने के लिए सोसायटी के गेट नम्बर-4 के एंट्री रजिस्टर में एंट्री के दौरान आईओ अरविंद कुमार ने फ़्लैट नम्बर वाले खाने में लिखा T-19, जबकि उमेश कुमार जिस टावर में रहते है, उसका नम्बर है 19…
इसके बाद अरविंद कुमार ने टावर में लिफ़्ट के पास स्थिति गार्ड के रजिस्टर में एंट्री करते समय फ़्लैट नम्बर का खाना ख़ाली छोड़ दिया… एंट्री का समय 3:55PM डाला और वापसी का 3:59।
तथ्य यह है कि उमेश कुमार चौबीसवी मंज़िल पर रहते है और लिफ़्ट तक़रीबन दो से ढाई मिनट पहुँचने में लेती है और वापसी में भी इतना ही समय लगता है।
कोर्ट में वारंट लेने के लिए दी गयी याचिका में टोटल 4 मिनट में वारंट की तामील ना होना और परिवार वालों के द्वारा वारंट ना लिया जाना कहा गया है।
आईओ अरविंद कुमार ने गेट नम्बर 4 और टावर 19 के रजिस्टर मे एंट्री करने के दौरान इनके फ़ोटो खींच लिए थे। अरविंद कुमार ने गेट नम्बर-4 के रजिस्टर जिसके फ़्लैट नम्बर वाले खाने में T-19 लिखा था, उसकी फ़ोटोस्टेट कापी पर फ़्लूइड लगाकर उमेश कुमार के फ़्लैट का नम्बर 19241 डाला। और जो रजिस्टर टावर 19 की लिफ़्ट के पास स्थित गार्ड के पास था, उसने ख़ाली छोड़े गए फ़्लैट नम्बर वाले खाने में उमेश कुमार का फ़्लैट नंबर 19241 लिख डाला और इन दस्तावेज़ों को कोर्ट में पेश करके आईओ अरविंद कुमार द्वारा कहा गया कि उमेश कुमार वारंट लेने से बच रहा है और परिजनों ने वारंट लेने से मना कर दिया है।
ये रणनीति थी जिसको लेकर इतना इतरा रहे थे उच्च अधिकारी। एक फ़र्ज़ी षड्यंत्र रचकर ग़लत धाराओं में मुकदम दर्ज करके अपनी पीठ थपथपा रही थी और बाद में जिन्हें चार्जशीट के दौरान साबित भी नहीं कर पायी पुलिस।
आईओ अरविंद कुमार और वादी आयुष गौड़ ने एक और षड्यंत्र रचा। उमेश कुमार के फ़्लैट का पता है 19242 जबकि सभी वारंट की तामील करने के प्रयास दिखाए गए फ़्लैट नम्बर 19241 पर। ये फ़्लैट निर्माण के बाद से आज तक किसी को आवंटित नहीं हुआ है ये एक ख़ाली खंडहर फ़्लैट है।
तहरीर देकर गाजियाबाद के थाने से बाहर निकलते उमेश
स्टिंग प्रकरण : कब कब क्या क्या हुआ
10 अगस्त को राजपुर थाने में ब्लैकमेलिंग. षड्यंत्र और इक्स्टॉर्शन के आरोपों में मुक़दमा दर्ज
18 अगस्त कोर्ट द्वारा गिरफ़्तारी और सर्च वॉरंट की माँग निरस्त।
24 अगस्त को एक बार फिर कोर्ट द्वारा गिरफ़्तारी और सर्च वॉरंट की माँग निरस्त।
22 October को सेशन कोर्ट द्वारा गिरफ़्तारी और सर्च वारंट जारी
28 October ग़ाज़ियाबाद स्थित घर से उमेश कुमार गिरफ़्तार।
1 नवम्बर 2018 को राजपुर थाने में 2017 हुयी घटना का आरोप लगाते हुए ब्लैकमेलिंग इक्स्टॉर्शन षड्यंत्र का मुक़दमा दर्ज
4 नवम्बर को राँची झारखंड में सरकार गिराने का षड्यंत्र करने के आरोप में राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग का मुक़दमा दर्ज।
16 नवम्बर को कोर्ट से जमानत
16 की रात को ही देहरादून जेल से राँची ट्रान्स्फ़र
17 नवंबर को राजपुर थाने में लूट व कई अन्य संगीन धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ।
19 नवम्बर को राँची कोर्ट में पेश किया।
राँची कोर्ट में पेश करने के दो दिन बाद ही राँची पुलिस ने
राजद्रोह, इक्स्टॉर्शन और ब्लैकमेलिंग के आरोप हटाकर सिर्फ़ 504,506 जान से मारने की धमकी देने का आरोप पत्र कोर्ट में दाख़िल कर दिया।
24 नवम्बर को इस मामले में कोर्ट से ज़मानत
दो मामलों में 26, 27 नवम्बर को हाई कोर्ट द्वारा गिरफ़्तारी पर रोक लगाए जाने के बाद राँची जेल से रिहा।
20 मार्च को मुख्यमंत्री के जिन क़रीबियों के स्टिंग मुख्य न्यायाधीश उत्तरखंड की कोर्ट में जमा कराए हैं, वो सारे 23 मार्च से अप्रैल के बीच सरकारी गवाह बन गए और मान लिया कि स्टिंग हुए।