Ad
Ad

फाइलों में उलझी गंगा की तलाश

सौ मीटर तक के दायरे में निर्माण और पांच सौ मीटर के दायरे में कूड़ा डालने के प्रतिबंध के आदेश हरिद्वार में गंगा की दो धाराओं के बीच फंसकर रह गए हैं

कुमार दुष्यंत/हरिद्वार

राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा हरिद्वार से लेकर उन्नाव तक गंगा के किनारे १०० मीटर तक ‘नो कंस्ट्रक्शन जोन’ व ५०० मीटर तक कूड़ा डालने पर प्रतिबंध घोषित किये जाने का सभी जगह स्वागत किया जा रहा है, लेकिन गंगा की दशा में सुधार का एनजीटी का यह बड़ा निर्णय हरिद्वार मेें बह रही गंगा की दो धाराओं के बीच उलझकर रह गया है।
एनजीटी द्वारा गंगा के १०० मीटर के दायरे में निर्माण व २०० मीटर में कूड़ा डालने पर प्रतिबंध लगा देने के बाद हरिद्वार में एक बार फिर से ‘गंगा’ की तलाश शुरू हो गई है। शासनादेश व मान्यताओं के बीच से गंगा को तलाशना अफसरशाही के लिए टेढी खीर बन गया है। हरिद्वार में गंगा की दो धाराएं बहती हैं। एक मुख्यधारा है, जिसे नीलधारा भी कहा जाता है। जो चंडी पर्वत के नीचे बहती है, जबकि दूसरी धारा को अविच्छिन्न धारा कहा जाता है। यह वह धारा है, जिसमें हरकीपैड़ी अवस्थित है। आमतौर पर ज्यादातर लोग इसी धारा को मुख्य गंगा मानते हैं व इसी में स्नान एवं कर्मकांड संपन्न करते हैं, लेकिन हरीश रावत सरकार ने हाईकोर्ट के एक आदेश पर निर्णय लेते हुए गंगा की इस अविच्छिन्न धारा को नहर घोषित कर दिया था।

एनजीटी के हालिया आदेश के बाद प्रशासन एक बार फिर से गंगा ढूंढने में लग गया है। उसके सामने समस्या यह है कि करोड़ों हिंदू धर्मावलंबियों व कुंभ का केंद्र हरकीपैड़ी की धारा को गंगा माने या फिर तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा नोटिफाइड नीलधारा को! https://parvatjan.comghotale-ko-nikala-tod-ek-kilomiter-par-33-dodयदि नीलधारा को गंगा माना जाएगा तो फिर जिला प्रशासन के सामने एनजीटी आदेश के पालन में कोई समस्या नहीं आएगी, क्योंकि यह धारा शहर से दूर है, लेकिन यदि अविच्छिन्न धारा को गंगा माना गया तो एनजीटी आदेशों के अनुपालन में प्रशासन के छक्के छूट जाएंगे, क्योंकि पूरा शहर इसी धारा के तट पर बसा हुआ है।
गंगा को लेकर पहले भी विवाद सामने आते रहे हैं। वर्ष 1998 में हाईकोर्ट ने गंगा के २०० मीटर के दायरे में हरिद्वार-ऋषिकेश में किसी भी तरह के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन हरिद्वार विकास प्राधिकरण की शिथिलता के चलते इस आदेश के बावजूद हरिद्वार-ऋषिकेश में गंगा के किनारे सैंकड़ों व्यावसायिक निर्माण हो गए। जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य उच्च न्यायालय ने वर्ष 2012 में प्रतिबंध के बावजूद गंगा के किनारे बना दिये गए इन समस्त निर्माणों को ध्वस्त करने का आदेश शासन को दिया था। जिसके बाद गंगा किनारे बनाए गए सैकड़ों होटलों के स्वामी अपने निर्माणों को ध्वस्तीकरण से बचाने के लिए सरकार की शरण में पहुंच गए। जिसके बाद हरीश रावत सरकार ने गंगा का परिसीमन बदलकर इस समस्या का समाधान निकाल लिया। रावत सरकार ने नीलधारा को असल गंगा मानते हुए हरकीपैड़ी की अविच्छिन्न धारा को स्करेब चैनल (नहर) घोषित कर दिया, क्योंकि नीलधारा शहर से २०० मीटर से अधिक दूर है। इसलिए सभी प्रश्नगत निर्माण ध्वस्तीकरण से बच गए। गंगा को लेकर लिया गया रावत सरकार का यह निर्णय अब भी प्रभावी है, लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार गंगा को लेकर पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय को बदलने के मूड में है। मुख्यमंत्री बनने के बाद हरकीपैडी पर गंगा पूजन के लिए आए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पंडों-पुरोहितों की मांग पर इस निर्णय को बदलने की सहमति जताई है।
पिछले दिनों प्रदेश सरकार के खिलाफ हरकीपैड़ी पर धरना देने आए हरीश रावत का इसी मुद्दे को लेकर पंडो-पुरोहितों ने घेराव भी किया था। पुरोहितों ने यह कहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री के हरकीपैड़ी आने का विरोध किया था कि जब वह हरकीपैड़ी की धारा को नहर घोषित कर चुके हैं तो नहर पर उपवास या प्रदर्शन क्यों? जिसके बाद हरीश रावत ने भी इस गलती के लिए क्षमा मांगते हुए पुरोहितों को आश्वस्त किया था कि वह इस निर्णय में सुधार के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से आग्रह करेंगे। एनजीटी का गंगा किनारे निर्माण व कूड़ा कचरा प्रतिबंधित करने वाला हालिया निर्णय गंगा सुधार की दशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन हरिद्वार में गंगा की दो धारा होने से फिलहाल यहां एनजीटी के आदेश उलझकर रह गए हैं।
हरिद्वार के जिलाधिकारी कहते हैं कि एनजीटी के आदेशों का पूर्णत: पालन किया जाएगा। गंगा प्रदूषण व पॉलीथिन को लेकर आए एनजीटी के पहले आदेशों का भी अनुपालन हो रहा है। नये आदेश की प्रति अभी हमें नहीं मिली है, जो भी आदेश होंगे, व्यवस्था के अनुसार उनका पालन कराया जाएगा।

madan-kaushik

”गंगा को फिर से अधिसूचित किया जाएगा। पर्यावरण व गंगा के हित में लिए जा रहे एनजीटी के सभी फैसलों का सरकार सम्मान करती है। पिछली सरकार ने गंगा की धारा को लेकर एक बड़ी गलती की है। भाजपा सरकार इस गलती को सुधारने के लिए कृतसंकल्पित है।”
– मदन कौशिक, शहरी विकास मंत्री

Read Next Article Scroll Down

Related Posts