भूपेंद्र कुमार
छात्रवृत्ति घोटाले की एसआईटी जांच को काफी वक्त हो गया है, लेकिन यह ज्यादा आगे नहीं सरक पाई है। एसआईटी अभी तक मात्र देहरादून और हरिद्वार के चार कॉलेजों की ही जांच कर पाई है।
हाल ही में एसआईटी ने डोईवाला थाने में गलत तरीके से छात्रवृत्ति लेने वाले मंयक नौटियाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के इस कदम से उत्साहित होकर इस संवाददाता ने अपने स्तर पर ही छब्बीस निजी स्थानों में मयंक नौटियाल की तरह ही फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति लेने वाले देहरादून हरिद्वार और हल्द्वानी के 338 छात्रों की तस्दीक करके एक सूची पुलिस को दी है।
इस संवाददाता ने डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार सहित आईजी गढ़वाल अजय रौतेला को भी यह लिस्ट देकर कार्यवाही की मांग की है। सभी मामलों की तस्दीक पर्वतजन ने अपने स्तर पर की है और इन मामलों को सत्य पाया है।
गौरतलब है कि पुलिस को सौंपी गई इस लिस्ट में सभी शिक्षण संस्थानों के नाम, छात्रों के नाम पते और उनकी पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में जानकारी दी गई है।
जिन छात्रों ने यह छात्रवृत्ति ली है वह बिल्कुल अपात्र लोग हैं। कई छात्रों के पिता ‘ए क्लास’ ठेकेदार हैं तो कई सरकारी ठेकेदार हैं। कई छात्रों के पिता पोस्ट आफिस या बैंक में मैनेजर है तो कई अध्यापक और अन्य सरकारी नौकरियों में भी है। हालांकि सरकार ने वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2017 तक के छात्रवृति मामलों की जांच बिठाई है, किंतु इस संवाददाता ने सरकार को जो लिस्ट दी है, वह तो मात्र बस 2015 से लेकर 2017 की ही है।
फर्जी छात्रवृत्ति बांटने वाले संस्थान निजी संस्थान ही नहीं है बल्कि सरकारी संस्थान भी फर्जी छात्रवृत्ति दिलाने के मामले में पीछे नही है।
कई छात्र तो इसमें ऐसे हैं कि जिन्होंने फर्जी छात्रवृत्ति लेने के लिए ही फर्जी एडमिशन दिखाया गया है। इनके रिजल्ट का मिलान विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से करने पर वहां इन का रिजल्ट नहीं मिलेगा। अर्थात इनके नाम पर केवल छात्रवृत्ति हड़पने को एडमिशन दिखाए गए हैं, इन्होंने कोई परीक्षा नहीं दी और यह एडमिशन ही फर्जी हैं। इस फर्जीवाड़े में छात्र ही नही कॉलेज भी शामिल हैं।
कई छात्र तो ऐसे हैं, जिन्होंने दो-दो बार छात्रवृत्ति ली है। जबकि छात्रवृत्ति सिर्फ उसी परिवार का बच्चा ले सकता है, जिसकी वार्षिक आय ढाई लाख से अधिक न हो और यह छात्रवृत्ति केवल एक ही बार मिलती है।
फर्जीवाड़े के कुछ ज्वलंत उदाहरण
उदाहरण के तौर पर अंकित डोभाल पुत्र श्री दर्शन लाल डोभाल ने अपने नाम को थोड़ा आगे पीछे करके और पते बदल कर दो बार छात्रवृत्ति ली है। एक बार अंकित डोभाल पुत्र दर्शन लाल डोभाल के नाम से देहरादून के पत्ते पर छात्रवृत्ति ली गई है। यह छात्रवृत्ति होटल मैनेजमेंट एंड केटरिंग कोर्स के नाम पर ली है, तो दूसरी बार अपना नाम थोड़ा आगे पीछे करके डोभाल अंकित के नाम से और पिता का नाम केवल दर्शन डोभाल करके बैचलर इन एग्रीकल्चर साइंस कोर्स के नाम पर छात्रवृत्ति ली गई है।
एक छात्रवृत्ति स्टेट बैंक जीएमएस रोड देहरादून में खाता खुला कर ली गई तो दूसरी बार पंजाब नेशनल बैंक लक्सर के पते पर ली है।अंकित का पिता दर्शन लाल डोभाल मुंबई में करोड़पति बिजनेसमैन है।
रुड़की बिजनेस स्कूल हरिद्वार के नाम पर पूजा ने bba के नाम पर छात्रवृत्ति ली है जबकि इसके पिता महावीर सिंह जिला सहकारी बैंक में मैनेजर के पद पर हैं और इनका मासिक वेतन 73 हजार रुपए है।
इसी तरह मदर हुड यूनिवर्सिटी रुड़की में पढ़ने वाले छात्र विपिन के पिता सरकारी ठेकेदार है और इनकी मासिक आय ₹70,000 से अधिक है।
कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रुड़की हरिद्वार से छात्रवृत्ति लेने वाले अक्षय राज के पिता तिलक राज सरकारी ठेकेदार हैं। सरस्वती प्रोफेशनल डिग्री कॉलेज हरिद्वार में पढ़ने वाली विम्मी तोमर के पिता itbp में कार्यरत हैं और इनका मासिक वेतन 70,000 है।
तहसील कर्मचारी धनपौ निवासी मोहर सिंह तोमर का पुत्र सुमित इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया मनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी देहरादून से छात्रवृत्ति ले चुका है।
छात्रवृत्ति लेने वालों में से दर्जनों छात्रों के पिता ए क्लास कॉन्ट्रैक्टर हैं।
पोस्ट ऑफिस में कार्यरत सोहन लाल का पुत्र अमित तोमर भी छात्रवृत्ति लेने वालों में शामिल है, जबकि इनकी वेतन ही 1,23,000 है।
सरकारी विद्यालय में कार्यरत बैजराम ने भी अपने पुत्र विनोद के नाम पर हिमगिरि जी यूनिवर्सिटी से छात्रवृत्ति ली है। मोहनलाल आर्मी में कार्यरत हैं तो महावीर सिंह तोमर सरकारी नौकरी पर हैं इन दोनों ने भी अपने पुत्रों के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है।
कालसी निवासी महावीर सिंह तोमर डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक में मैनेजर हैं। इन्होंने अपने पुत्र राहुल तथा पुत्री आरती तथा दूसरी पुत्री गीता के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है। तीनों बच्चे दून घाटी कॉलेज ऑफ़ प्रोफेशनल एजुकेशन डोईवाला में पढ़ते हैं।
अधिकांश लोग या तो बड़े व्यवसाई हैं, जिन्होंने राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल करके अपने बच्चों के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है अथवा अधिकांश पोस्ट ऑफिस और बैंकों में कार्यरत हैं।
विद्युत विभाग में कार्यरत जय प्रकाश सेमवाल ने भी अपनी पुत्री स्मिता और दूसरी पुत्री नमिता के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है। इनकी लड़कियां द्रोणाचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन धर्मा वाला विकास नगर में पढ़ती हैं और यह लोग कालसी के रहने वाले हैं।
शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक वैजराम ने भी अपने पुत्र आशीष नौटियाल के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है।
इन नामों की लिस्ट पुलिस को दिए जाने के बाद अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि मयंक नौटियाल के मामले में तुरत फुरत एफ आई आर दर्ज करने वाली एसआईटी इन 338 नए खुलासों पर क्या रुख अपनाती है !
यदि एसआईटी ने यह जांच नहीं की तो फिर एसआईटी पर राजनीतिक प्रभाव अथवा किसी विशेष उद्देश्य से काम करने के आरोप लग सकते हैं। उससे लोग सीबीआई की तर्ज पर एसआईटी को राज्य सरकार का तोता भी कह सकते हैं।