कार्तिक उपाध्याय
*जन्म और जमीनी शिक्षा*
एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट का जन्म उत्तराखंड राज्य के रानीखेत जिले के बग्वालीपोखर गांव में हुआ। कविता बिष्ट के परिवार में 6 लोग जिनमें 3 महीने मां बाप वह एक भाई थे ।
कविता बिष्ट के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी जिस कारण कविता बिष्ट ने जीजीआईसी बग्वालीपोखर से केवल हाई स्कूल तक ही पढ़ाई करी और स्कूल छोड़कर मजदूरी करने लगी पूरे दिन भर मजदूरी करने के बाद कविता को शाम को केवल ₹30 मिलते थे और इससे वह अपने पिताजी का हाथ बटाती थी ।
हम इस बात से ही कविता के परिवार की आर्थिक स्थिति को समझ सकते हैं।
*पहाड़ की तरह मिले दुख परंतु कविता का हौसला भी पहाड़ की ही तरह*
कविता बिष्ट के सर पर पहला दुख 2007 मे टूटा जब उनकी बड़ी बहन का देहांत हो गया।
परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण और बड़ी बहन के देहांत के कारण कविता ने अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए नौकरी करने की ठानी और पहाड़ से नोएडा चली गई ताकि वहां पर नौकरी करके परिवार को पाले छोटे भाई बहन को अच्छी शिक्षा दिलवाए ताकि उनका भविष्य अच्छा बन सकें।
इसी कारण सन 2007 में रानीखेत से नोएडा गई और वहां पर एक मदर संस नामक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगी और अपने पारिवारिक जिम्मेदारी को निभाने लगी लेकिन कविता को नहीं पता था कि उनकी जिंदगी में भगवान ने दुख ही दुख लिखे हैं।
*कविता की जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द भरा शनिवार का दिन और ऐसीड अटैक से भरी सुबह*
कविता रोजाना की तरह ड्यूटी जाने के लिए बस स्टॉप पर खड़ी थी और कविता को पता भी नहीं था शनिवार का यह दिन उनकी जिंदगी के लिए एक काला शनिवार होगा। नोएडा का एक मनचला कविता से दोस्ती और शादी के लिए लगातार दबाव बना रहा था और कविता व उनकी दोस्त को लगातार फोन कर रहा था कविता ने जब उससे कहा कि वह पहाड़ से नोएडा अपने पारिवारिक दायित्व को निभाने और नौकरी करने के लिए आई है इन सब फालतू कामों के लिए नहीं तो उस मनचले ने सुबह 5:15 बजे बस स्टॉप पर खड़ी कविता के चेहरे पर तेजाब डाल दिया जिससे कविता का खूबसूरत चेहरा पूरी तरह झुलस गया यही नहीं कविता ने अपनी दोनों आंखें भी इस मनचले की गंदी हरकत के कारण खो दी।
*तेजाब के साथ साथ प्रशासन व अस्पतालों ने भी दिया दर्द*
तेजाब दर्द दे रहा था और कविता को नोएडा स्थित निजी अस्पताल एवं सरकारी अस्पताल लोगों द्वारा ले जाए जाने पर इलाज नहीं मिला क्योंकि अस्पताल और पुलिस अनेकों कागजी कार्रवाई जैसे पुलिस f.i.r. लिखित शिकायत आदि चीजें मांग रही थी
सुबह 5:15 बजे से तड़प रही कविता के बारे में जब उनकी कंपनी को पता चला तो उन्होंने 2:30 बजे एंबुलेंस भेजी और कविता को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल भर्ती कराया गया और कंपनी द्वारा उनका इलाज कराया गया।
*8 दिनों तक बेहोश लगभग 34 दिन तक आईसीयू ढाई माह से अधिक अस्पताल में रही कविता*
तेजाब से झुलसने के कारण बेहद दर्द के कारण कविता बेहोश हो गई और 8 दिन तक बेहोश है रही 8 दिनों बाद जब कविता को होश आया फिर भी वह बात नहीं कर पा रही थी और 34 दिनों तक कविता को आईसीयू में रखा गया उसके पश्चात उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया जहां पर लगभग 2 माह तक उनका इलाज हुआ।
*अपराधी के दबाव में शहर में घबराए परिवार को f.i.r. लेनी पड़ी वापसी और अपराधी छूट गया*
एसिड अटैक करने वाले मनचले को पुलिस ने गिरफ्तार किया परंतु पहाड़ से दिल्ली गए कविता के परिवार पर अपराधी द्वारा अनेकों भय दिखाए गए जबरदस्ती प्रशासन द्वारा अपराधी के साथ मिलकर कविता के परिवार पर केस वापसी लेने का दबाव बनाया गया
जिंदगी और मौत से अस्पताल में जंग लड़ रही कविता का कोई भी बयान f.i.r. में नहीं लिया गया और दबाव के चलते पहाड़ के निवासी कविता के भोले मां बाप ने मजबूरन एफ आई आर वापसी ले ली और अपराधी मात्र एक 1 माह बाद ही अस्पताल से छूट गया
*समाज ने भी प्रताड़ना और कुछ सामाजिक व्यक्तियों ने दिया जीवन जीने का हौसला*
इलाज कराकर पहाड़ वापसी आई कविता को इस गंदे समाज के लोगों ने भी प्रताड़ित किया कविता के झुलसे चेहरे के कारण समाज ने कई बुरी बातें कविता को कहीं और कविता के दर्द को और बढ़ाया वहीं इसी दूसरी तरफ समाज के कुछ अच्छे लोगों ने कविता को जीवन जीने का हौसला दिया जिससे कविता ने जिंदगी को स्वीकारा हकीकत को स्वीकारा और आगे बढ़ने की ठानी।
*सन 2012 और 2016 में भी मिला दर्द*
हमेशा से दर्द सह रही कविता के जीवन में सन 2012 में भी दुख मिला जब उनकी छोटी बहन का भी देहांत हो गया।
उसके बाद 2 वर्ष पूर्व ही सन 2016 में फिर कविता के ऊपर एक बहुत बड़ा पहाड़ टूटा कविता के सर से उनके पिताजी का साया उठ गया 2016 में उनके पिताजी का भी देहांत हो गया।
एक हौसला और खुशी मिली कविता को जब वह बनी उत्तराखंड राज्य महिला सशक्तिकरण की ब्रांड अंबेसडर
राज जीके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने 31 अगस्त 2015 को कविता को उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण का ब्रांड अंबेसडर मनोनीत किया और सितंबर 2015 से कविता को राज्य सरकार द्वारा ₹13500 मानदेय दिया जाने लगा कविता को काफी लंबे इंतजार के बाद एक खुशी मिली और उन्होंने सरकार का धन्यवाद किया की उन्होंने ₹13500 का मानदेय हर माह कविता को देने निर्णय लिया वह कविता की जिंदगी में एक बहुत बड़ा सहारा बना।
*कविता से जुड़े कई लोगों ने इनके दर्द को अपनी कलम से लिखा*
कविता से जो भी मिला उनके हौसले को देखकर प्रभावित हुआ और उनके दर्द को कई लोगों ने अपनी कलम से लिखा ।
जिसमें से गिरीश चंद जोशी जी ने नवल और जनपक्ष इत्यादि रचनाएं कविता बिष्ट की जीवनी पर लिखी। वहीं प्रतिभा जोशी ने “एसिड वाली लड़की” के नाम से एक किताब लिखी ।
क्वीनस पब्लिक स्कूल हल्द्वानी के कक्षा 12 में पढ़ने वाले जय जोशी ने “beauty behind her scars” किताब लिखी ।
जिसका विमोचन पूर्व राज्यपाल केके पॉल द्वारा 14 नवंबर 2017 को राज्यपाल भवन में किया गया।
*वर्तमान सरकार ने छीना कविता का आर्थिक सहारा*
राज्य की वर्तमान सरकार ने कविता बिष्ट के आर्थिक सहारे को बंद करके फिर एक बार कविता के दर्द को बढ़ाया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी द्वारा बिना बताए 18 मई 2018 को कविता बिष्ट को मिलने वाले मानदेय रुपए 13500 को बंद कर दिया वर्तमान सरकार ने कविता बिष्ट के मानदेय को बंद करके महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ जैसे शब्दों का मजाक उड़ाया है।
*होटल खोलने का सपना है एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट का*
जब कविता से पूछा गया कि वह क्या करना चाहती हैं तो उन्होंने बताया कि उन्हें खाना बनाना बहुत पसंद है और वह होटल खोलकर गरीबों को सस्ता खाना अपने हाथों से बना कर खिलाना चाहती हैं। लेकिन आर्थिक स्थिति अभी कविता की ऐसी नहीं है कि वह होटल खोल सके परंतु उन्हें खुद पर बुरा भरोसा है कि वह एक दिन अवश्य अपने सपने को पूरा करेंगी।
बेटी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं परंतु आज बेटियों का स्थिति बेहद चिंताजनक है सरकारी वैसे तो कई प्रोग्राम महिला सशक्तिकरण बेटी बचाओ आदि करते रहती हैं परंतु धरातल की हकीकत कुछ और ही बयां करती है।