गिरीश गैरोला, उत्तरकाशी//
ड्रोन कैमरे से पहाड़ी पर नजर, एक्सपर्ट की राय के बाद तय होगा मार्ग खुलने की दिशा
गुरुवार तक जानकीचट्टी की तरफ फंसे सभी यात्री आ जाएंगे इस तरफ
भूस्खलन वाले स्थान पर ढाई किमी का पैदल ट्रैक से चल रही यात्रा
घोड़े खच्चर और टैक्सी का किराया किया फिक्स
उत्तरकाशी जनपद के यमुनोत्री धाम के पास पहाड़ से गिर रहे बोल्डर के कारण ओजरी मे बंद हाइवे विगत तीन दिनों से नहीं खुल सका है। सोमवार शाम को यात्रियों से भरी टैक्सी पर चट्टान गिरने के कुछ देर बाद यातायात सुचारू कर दिया गया था, किंतु रुक-रुक कर हो रहे भूस्खलन के चलते अभी तक मार्ग नहीं खुल सका है। जिला प्रशसन की तरफ से एडीएम पीएल शाह और एसडीएम बड़कोट मौके पर एनएच के अधिकारियों के साथ डटे हुए हैं।
डीएम उत्तरकाशी डा. आशीष कुमार बताते हैं कि गुरुवार तक जानकीचट्टी कि तरफ सड़क खुलने का इंतजार कर रहे यात्रियों के आखिरी दल को आज सायं तक भूस्खलन क्षेत्र के पास बने वैकल्पिक ट्रैक मार्ग से इस तरफ ले आया जाएगा। इस दौरान उस पार फंसे हुए यात्रियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था पूर्ति विभाग द्वारा की गयी थी। गुरुवार तक 1313 यात्री यमुनोत्री से बड़कोट की तरफ आ चुके हैं, जबकि 620 यात्री बड़कोट की तरफ से यमुनोत्री दर्शन को गए हैं। डीएम ने कहा कि यात्रा रोकी नहीं गयी है। इतना जरूर है कि अब यमुनोत्री धाम में जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक के 5 किमी पैदल ट्रैक के साथ ओजरी के पास ढाई किमी. का अतिरिक्त पैदल ट्रैक पर चलना होगा अर्थात यमुनोत्री यात्रा पर जाने वाले फिलहाल ये मानकर चले कि उन्हें 5 किमी पैदल ट्रैक की जगह 7.5 किमी. पैदल ट्रैक पर चलना है। डीएम ने कहा कि जानकी चट्टी की तरफ रुके हुए यात्रियों के दल कि वापसी के बाद यात्रा पहले वाले स्वरूप में लौट आएगी लिहाजा जिला प्रशासन कि तरफ से दी जाने वाली निशुल्क व्यवस्था वापस ले ली जाएगी, किंतु तय रेट से अधिक कोई यात्रियों से न ले, इसकी पूरी निगरनी की जाती रहेगी।
डीएम ने बताया कि यात्रियों के अलावा जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों की भी सुध ली है। यमुनोत्री मार्ग पर यात्रा नहीं रोकी गयी है। भूस्खलन क्षेत्र के आसपास के 7 गांवों मे प्रसूता महिलाओं, अन्य बीमार मरीजों को समय से पूर्व ही बड़कोट अस्पताल में पहुंचाया जा रहा है और भूस्खलन से जिन काश्तकारों कि जमीन का नुकसान हुआ है, उसे सड़क चौड़ीकरण में मुआवजा देने के लिए एक सप्ताह मे रिपोर्ट मांग ली गयी है। इसके अलावा भू वैज्ञानिकों के साथ बीआरओ के एक्सपर्ट को भी मौके पर ले जाकर उनकी राय मांगी जा रही है। पहाड़ों पर मौजूद भूस्खलन की स्थिति पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही है।