लैंड स्लाइड ने रोकी श्रद्धालुओ की गंगोत्री दर्शन की अभिलाषा
बीआरओ की गलत प्लानिंग से नाराज मंदिर समिति और श्रद्धालु
हाइवे बंद होने के चलते , कपाट बंद होते समय नहीं पहुंच सके हजारों श्रद्धालु–मार्ग से ही लौटे वापस
गिरीश गैरोला/ उत्तरकाशी
शुक्रवार को गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद गंगा माँ की डोली शनिवार को सुबह 10 बजे अपने शीतकालीन प्रवास मुखवा मे पंहुच गई ।
गंगोत्री से चलने के बाद पैदल यात्रा का रात्री निवास देवी मंदिर मे होता है, और शनिवार सुबह 10 बजे गंगोत्री से चली माँ की डोली यात्रा मुखवा–मुखी मठ
मे पहुंच गयी।
मुखवा गांव गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों का गांव है, जहां गंगोत्री के जैसा ही मंदिर निर्मित है।शीतकाल के 6 महीने गंगा की पुजा अर्चना यहीं इसी मंदिर मे सम्पन्न होती है।
गंगोत्री के इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ, जब गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद होने के मौके पर श्रद्धालु गंगोत्री मे माँ गंगा के दर्शन नहीं कर सके।
गंगोत्री राज मार्ग गंगनानी के पास नाग देवता नामक जगह पर चट्टान गिरने से मार्ग बंद हो गया था। समय पर सूचना के बाद भी बीआरओ की जेसीबी मशीन और उपकरण मौके पर नहीं पहुंच सके। मज़दूरों के भरोसे मार्ग खोलने के चलते हजारों श्रद्धालु सड़क पर ही फंसे रह गए और गंगोत्री मे कपाट बंद होने के दुर्लभ क्षण पर दर्शन नहीं कर सके।
गुरुवार रात 10 बजे रात पहाड़ी से चट्टान गिरने के साथ ही जब बिजली का पोल गिरा और इलाके की बिजली गुल हो गयी तभी बीआरओ और जिला प्रशासन को इसकी सूचना स्थानीय लोगों द्वारा दे दी गयी थी , इसके बाद भी बीआरओ की मशीन मौके पर समय से नहीं पहुंच सकी और साढ़े तेरह घंटे बाद सड़क मार्ग खोला जा सका। किन्तु तब तक गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके थे।खुद इलाके के एसडीएम को पैदल लैंड स्लाइड को पार कर दूसरी ओर खड़े दूसरे निजी वाहन से गंगोत्री पहुंचना पड़ा।बताते चलें कि मंदिर के कपाट बंद होते समय ताले पर लगने वाली सील पर मंदिर समिति के सचिव के साथ एसडीएम के भी हस्ताक्षर होते हैं।
इस बारे मे बीआरओ शिवालिक परियोजना के चीफ़ उमेश मेहता के निर्देश के बाद 36 बीआरटीएफ़ यूनिट के अधिकारी हरकत मे आए। 36 बीआरटीएफ़
द्वारा जिलाधिकारी उत्तरकाशी को मशीन मौके पर पहुंचने की भी गलत जानकारी दी गयी थी।
पर्वतजन ने जब डीएम को मौके की हकीकत से रूबरू करवाया, तब डीएम डॉ आशीष कुमार चौहान ने एडीएम को मौके के लिए रवाना किया।
स्थानीय श्रद्धालु राजेश रावत ने बताया कि इससे पूर्व पूर्व कपाट बंद होने और खुलने के मौके पर बीआरओ द्वारा पूर्व तैयारी की जाती थी। किन्तु इस समय 36 बीआरटीएफ़ मे तैनात कुछ नए अधिकारियो ने गंगोत्री के कपाट बंद होने के दिन और समय को हल्के मे लिया।
मंदिर समिति ने भी बीआरओ की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। श्री 5 मंदिर समिति के अध्यक्ष मुकेश सेमवाल , पूर्व सचिव दीपक सेमवाल और वर्तमान सचिव सुरेश सेमवाल ने आरोप लगाया कि बीआरओ ने समय रहते सही प्लानिंग की होती तो हजारों श्रद्धालु मार्ग मे न फंसे होते और उन्हे भी गंगोत्री मंदिर मे गंगा के निर्वाण दर्शन का सुख प्राप्त हो सकता था।