नए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने उत्तराखंड में कार्यभार ग्रहण क्या किया कि सत्ता की बिसात पर ओमप्रकाश के मोहरे एक-एक करके पिटने लगे हैं।
हाल ही में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के चहेते हाई स्कूल पास रजिस्ट्रार को अपने पद से हाथ धोना पड़ गया है।
पाठकों को याद होगा कि कुछ समय पहले पर्वतजन ने हाईस्कूल पास संदीप कुमार को घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज का रजिस्ट्रार बनाए जाने पर सवाल खड़े किए थे।
संदीप कुमार को अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के संरक्षण के चलते कुलसचिव बनाया गया था। संदीप कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे।
संदीप कुमार थर्ड डिवीजन से हाई स्कूल पास है। इन की नियुक्ति पहले कॉलेज में प्लेसमेंट अधिकारी के पद पर हुई थी, जबकि यह पद कॉलेज में सृजित ही नहीं था और ना ही संदीप कुमार कॉलेज में निकली वैकेंसियों के लिए किसी तरह की कोई शैक्षिक योग्यता रखते थे।
ओम प्रकाश ने न सिर्फ इनको कुलसचिव का कार्यभार दिया, बल्कि संदीप कुमार पर घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में ऑडिटोरियम बनाने से लेकर, बायोमेट्रिक खरीद और कर्मचारियों की EPF में गड़बड़ी से लेकर अन्य खरीद-फरोख्त में करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप हैं।
पूर्व में जांच अधिकारी तथा शासन में सचिव विजय कुमार ढौंडियाल ने भी अपनी जांच में संदीप कुमार की नियुक्ति को गलत पाया था। तथा सतर्कता जांच में भी संदीप कुमार को दोषी ठहराया गया था।
किंतु ओमप्रकाश के संरक्षण के चलते संदीप कुमार घुडदौडी इंजीनियरिंग कॉलेज में घोटाले पर घोटाले करते रहे।
बीच में कुछ समय के लिए जब तकनीकी शिक्षा विभाग का कार्यभार साफ छवि के सेंथिल कुमार पांडेय के पास आया तो उन्होंने तत्काल संदीप कुमार को पद से हटा दिया था। किंतु पांडियन के हटते ही जैसे ही चार्ज दोबारा ओम प्रकाश को मिला,श्री ओमप्रकाश ने फिर से इन्हें कुलसचिव बना दिया।
इसके खिलाफ पौड़ी के नागरिकों ने लंबा आंदोलन चलाया लेकिन ओमप्रकाश के संरक्षण के चलते कोई संदीप कुमार का बाल भी बांका नहीं कर सका। मजबूरन पौड़ी में आंदोलनकारी आमरण अनशन पर बैठ गए। मजबूरन 4 दिसंबर को घुडदौडी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य ने संदीप कुमार को कुलसचिव पद से हटा दिया।
पर्वतजन की खबरों और आंदोलनकारियों की मांगों का संज्ञान लेते हुए पौड़ी के जिलाधिकारी ने सचिव मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग के भ्रष्टाचार की जांच एसआईटी से कराए जाने के लिए पत्र लिखा है।
जिला अधिकारी के आदेशों के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में घोटालेबाज मुश्किल में आ गए हैं। जिलाधिकारी सुशील कुमार ने कहा है कि वह इंजीनियरिंग कॉलेज के घोटालों और EPF की गड़बड़ियों के मामले को गंभीरता से लेंगे। और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अहम सवाल यह है कि इससे पहले भी इस इंजीनियरिंग कॉलेज की जांच होती रही है। किंतु जांच पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
फिलहाल ऐसा प्रतीत होता है कि उत्पल कुमार सिंह के रूप में कुशल प्रशासक मिलने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ओम प्रकाश से अपना वरद हस्त वापस खींच लिया है।
ओमप्रकाश से पहले चिकित्सा शिक्षा हटाया जाना और फिर उनके खासमखास संदीप को कुलसचिव पद से हटाकर एसआईटी की जांच की दिशा में कार्यवाही तो कुछ ऐसा ही बयां कर रही है।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय जांच एजेंसियों ने भी अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के घोटालों का संज्ञान ले लिया है। और वह इसकी प्रारंभिक जांच कर रही है। देखना यह है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार में मुख्यमंत्री डीएम के पत्र का क्या संज्ञान लेते हैं ! कहीं ऐसा न हो कि एक विकट गिराकर गेम ओवर कर दिया जाए !