हरीश रावत के कीर्तन भजन व पूजा-पाठ के कार्यक्रमों पर तब विकास का हवाला देकर हमला करने वाली भारतीय जनता पार्टी आज हरीश रावत के भजन कीर्तन और पूजा-पाठ मॉडल पर उतर चुकी है।उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बननेे के बाद डबल इंजन की सरकार विकास के मॉडल पर सफल न होने के बाद अब लोगों का ध्यान भटकाने के लिए हवन कीर्तन व सत्संग की शरण में हैं। ऐसा नहीं कि सिर्फ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अकेले इस काम में लगे हैं। वर्तमान में उत्तराखंड के सबसे ताकतवर नौकरशाह व त्रिवेंद्र रावत के खासमखास अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश ने 1 फरवरी २०१८ को एक आदेश जारी करवाया, जिसमें स्वामी हरि चैतन्यपुरी प्रख्यात वक्ता, जो कि कुछ समय पहले सियोल कोरिया में आयोजित यूनिवर्सल पीस कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके थे, द्वारा 2 फरवरी २०१८ को देहरादून को व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया। अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने इस अवसर पर सभी को सत्संग में शामिल होने के लिए आदेश भी दिया। इसके बाद यह पत्र सचिवालय के तमाम वीआईपी लोगों के साथ-साथ जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द के लोगों को भी भेजे गए।
मुख्यमंत्री व उनकी टीम द्वारा पूरी तन्मयता के साथ स्वामी हरि चैतन्यपुरी का व्याख्यान सुना गया। उसके बाद अगले दिन मुख्यमंत्री का देहरादून से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक कार्यक्रम तय किया गया, जिसमें सरकारी हेलीकॉप्टर से राधास्वामी सत्संग व्यास में प्रतिभाग की बात लिखी गई।
कांग्रेस की सबसे बड़ी पराजय के खलनायक रहे हरीश रावत को कोसने वाली भारतीय जनता पार्टी चाहकर भी हरीश रावत मॉडल से बाहर नहीं निकल पा रही है। हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते उन पर रोज हनुमानी तिलक लगाकर घर से निकलने वाले हरीश रावत को मीडिया ने तब विधानसभा के बाहर हाथ में अभिमंत्रित चावल लेकर भी पकड़ा, जब वे शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा के गेट पर खड़े थे।
हरीश के बड़े भाई द्वारा मध्य प्रदेश में कुर्सी बचाने के लिए बगुलामुखी किया गया यज्ञ भी पूरे देश में छाया रहा। तब हरीश रावत द्वारा केदारनाथ से लेकर टपकेश्वर तक किए गए पूजा-पाठ आजकल भी जारी है।
उत्तराखंड के बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि २०१४ में डोईवाला से रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा जब विधानसभा सीट खाली कर उपचुनाव की नौबत आई, तब कई भाजपाइयों ने दावेदारी ठोकी। टिकट फाइनल होने से पहले जब त्रिवेंद्र रावत को भाजपा सूत्रों से ज्ञात हुआ कि उपचुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया जा रहा है तो उन्होंने तंत्र विद्या के माहिर एक तांत्रिक से संपर्क किया और तांत्रिक ने दो घंटे की पूजा के बाद बता दिया कि उपचुनाव में अब उनका टिकट कोई नहीं काट सकता। हुआ भी यही, तांत्रिक की बात सही साबित हुई। त्रिवेंद्र रावत उपचुनाव लड़े, किंतु तांत्रिक महोदय ने सिर्फ टिकट का वायदा किय था, जिताने का नहीं।
कल तक सरकारी हेलीकॉप्टर का दुरुपयोग जैसी बात कहने वाली भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार अब सत्संग व पूजा-पाठ के भरोसे जनता के बीच है। कम से कम उत्तराखंड के लोगों ने प्रचंड बहुमत की यह सरकार सत्संगों में भाषण देने के लिए नहीं बनाई थी।