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सीएम की विधान सभा मे अवैध खनन। मजदूर दबकर मरी। न मुआवजा। न मुकदमा ।

विनोद कोठियाल, देहरादून 
मुख्यमंत्री की विधान सभा में जोरों पर अवैध खनन। 
मजदूर महिला की मौत पर सब मौन
डोईवाला खनन क्षेत्र मुख्यमंत्री का विधान सभा क्षेत्र भी है। इसमे मानकों के विपरीत खनन धड़ल्ले से हो रहा है। नदी का सीना चीर कर काफी अधिक गहरे गड्ढे बनाये गये हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि खनन द्वारा बने ढांग के नीचे दबने से एक महिला मजदूर की मौत तक हुई है। सीएम की विधान सभा का मामला होने से दबा दिया गया। परिवार को मुआवजा तक नही मिला है। यह अवैध खनन मुख्यमंत्री के करीबी नेता कुलदीप बुटोला करा रहे हैं।
लाल तप्पड़ जाखन नदी में शनिवार सुबह 11:00 बजे नदी में कार्य कर रहे एक महिला मजदूर पर अवैध खनन से बनी बड़ी ढांग ऊपर गिर गई, जिससे मौके पर ही महिला की मौत हो गई और अन्य मजदूरों को काफी चोटें आई।
देखिए अवैध खनन का वीडियो 
  महिला मजदूर को जब जॉली ग्रांट अस्पताल में ले जाया गया तो वहां पर डॉक्टरों द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया। लालतप्पड़ पुलिस चौकी द्वारा महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। अब सवाल यह है कि नदी में किस की शह पर इतने अधिक गहरे गड्ढे बनाए जा रहे हैं कि जो काम कर रहे श्रमिकों के लिए कब्र गाह बन रहे हैं। कोई वीआईपी अगर सड़क के गड्ढों मे गिरकर मर जाए तो सड़क निर्माण ठेकेदार पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो जाता है। लेकिन यह तो मजदूर का मामला था।
 फोटो में और वीडियो में आप खुद ही देख सकते हैं कि नदी को कितनी गहराई तक खोद कर निकासी की जा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब राजधानी से बहुत नजदीक और मुख्यमंत्री की विधानसभा में इस तरह का खनन जोरों पर है तो प्रदेश के दूरदराज इलाकों में खनन की क्या स्थिति होगी !
 खनन का पट्टा प्रदेश के भाजपा के वरिष्ठ नेता कुलदीप बुटोला के नाम बताया जा रहा है जो कि मुख्यमंत्री का काफी करीबी माना जाता है। इस संबंध में जब जिला खनन अधिकारी हटवाल से बात की गई तो वह इस मुद्दे पर मौन साध गए और गेंद अधिकारियों के पाले में सरकाते नजर आये।
 प्रशासन के इस प्रकार के मौन से खनन के माफियों को बढ़ावा मिल रहा है। हैरानी इस बात की है कि खनन के लिये जो एजेंसी मानकों का निर्धारण करती है, वह इस मानकों से विपरीत कार्य पर मौन क्यों हैं ? वह भी तब, जब सबको पता है कि यह क्षेत्र सीधे मुख्यमंत्री से जुड़ा है !
उच्च स्तरीय दबाव मे दबाया मामला
इससे साफ अन्दाजा लगाया जा सकता है कि मानकों की अनदेखी उच्च राजनैतिक दबाव में की जा रही है। नहीं तो अब तक मजदूर की मौत के बाद भी किसी पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो पायी ?और न ही किसी उच्च अधिकारी द्वारा नदी का निरिक्षण किया गया।     नदियों का सीना चीर कर मानकों के विपरीत जो खनन किया जा रहा है वह आने वाले समय में न जाने कितने श्रमिकों को अपने काल के ग्रास मे लेगा। यह स्थानीय लोगों के लिए बाढ़ की समस्या भी पैदा कर सकता है।
एस डी एम कुसुम पंवार से पूछा तो उन्होंने बताया कि इस मामले पर जिला खान अधिकारी से जांच कराने के बाद ही कुछ कह सकते हैं ।
मजदूर की मौत पर न तो मुकदमा दर्ज हुआ, न खनन करने वालों से पूछा गया है और न ही अभी तक मृतका के परिवार को कोई मुआवजा दिया गया है।
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