देहरादून में स्मार्ट पार्किंग व स्मार्ट ट्रैफिक लाइट सिस्टम से यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उत्तराखंड की निर्माण एजेंसी ब्रिडकुल ने एक नया रोडमैप तैयार किया है।
जीएम प्रोजेक्ट प्रदीप गैरोला ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में देहरादून की राजपुर रोड को चुना गया है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य जगहों पर भी काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले नगर निगम, एमडीडीए, टै्रफिक पुलिस व ब्रिडकुल ने मिलकर स्थलीय निरीक्षण किया। तत्पश्चात पार्किंग के लिए स्थलों को चिन्हित किया गया। घंटाघर से होते हुए राजपुर रोड के विभिन्न स्थानों पर पार्किंग स्थल बनाए जाएंगे।
इन पार्किंग की विशेषता यह होगी कि यहां सीसीटीवी लगाए जाएंगे। जिससे पार्किंग व इसके आसपास वाहनों की आवाजाही व अन्य लोगों की डिटेल प्राप्त की जा सकती है। यह सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, जहां तीन दिन पहले खड़ी गाड़ी की डिटेल भी प्राप्त हो सकती है। इसके लिए एक मोबाइल एप बनाया गया है। जिसके द्वारा वाहन स्वामी, ड्राइवर द्वारा पार्किंग की वस्तुस्थिति का आंकलन किया जा सकेगा। पार्किंग के लिए बु
किंग सिस्टम को भी तैयार किया गया है। पार्किंग का शुल्क भी न्यूनतम रखा गया है। दुपहिया वाहनों के लिए एक घंटे तक के लिए २० रुपए, जबकि दो घंटे के लिए ३० रुपए निर्धारित किया गया है। इसी तरह कार के लिए भी न्यूनतम शुल्क ही रखा गया है। यहां बुजुर्ग और महिलाओं के लिए भी पार्किंग स्थल आरक्षित रखा गया है। मौके पर ही ऑटोमेटिक मीटर द्वारा इसका शुल्क काटा जाएगा। हालांकि पीपीपी मोड पर चल रहे पार्किंग की कॉस्ट पर निर्भर करेगा कि यह कितने समय चल पाती हैं।
पार्किंग से जो भी आय प्राप्त होगी, उसका ७० प्रतिशत कंपनी को जाएगा, जबकि शेष ३० प्रतिशत एमडीडीए व नगर निगम के कॉमन फंड में जाएगा। जिसका उपयोग यातायात को और दुरुस्त करने में किया जाएगा। स्मार्ट पार्किंग प्रोजेक्ट में करीब दो करोड़ रुपए खर्च होंगे और इस प्रोजेक्ट में ५० लोगों को रोजगार मिलेगा।
इसी तरह स्मार्ट ट्रैफिक लाइट सिस्टम के लिए अजबपुर से मसूरी डायवर्जन तक जगह चिन्हित किए गए हैं। यहां करीब ९ टै्रफिक लाइट को हाइटेक किया जाएगा। जिसके अंतर्गत आराघर, गुलाटी ऑप्टिकल डालनवाला, नैनी बेकरी, बहल चौक, सर्वे चौक, सिल्वर सिटी कैनाल रोड, जाखन कट अंजली डेरी एवं मसूरी डायवर्जन नौ स्थानों पर स्मार्ट टै्रफिक लाइट सिस्टम स्थापित की जाएंगी।
ये जगह सीसीटीवी से लैस किए जाएंगे, जो आम जनता के साथ ही कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण साबित होंगे। लगभग एक महीने तक इधर से गुजरने वाले वाहनों का पूरा डाटा सीसीटीवी में कैद रहेगा, जिससे जरूरत पडऩे पर यह डाटा काम आ सकेगा। सीसीटीवी इस तरह से हाइटेक होंगे कि जो यह
अपडेट देते रहेंगे कि उक्त स्थान पर कितनी गाडिय़ां खड़ी हैं, कितनी आगे भेजनी है, यह सब ऑटोमेटिक तरीके से चलता रहेगा। साथ ही छुट्टी व ड्यूटी के समय कितना ट्रैफिक छोड़ा जाएगा और दोपहर को कितना, एक चौक पर ग्रीन सिग्नल रहेगा तो अगले चौराहों पर भी ग्रीन सिग्नल ही मिलेगा, यह सब इसी पर निर्भर रहेगा। रेड लाइट जंपिंग और बिना हेलमेट वालों की फोटो और गाड़ी का नंबर सीसीटीवी में कैद हो जाएगा, जो बाद में टै्रफिक पुलिस के कंट्रोल रूम में चला जाएगा। जहां से उनका ऑटोमेटिक चालान कट जाएगा। दून स्मार्ट सिटी का कंट्रोल रूम सहस्त्रधारा में बनाया गया है। जहां से विभिन्न टै्रफिक लाइट पर होने वाली भीड़ और किसी घटना का पता चलता रहेगा।
इन ट्रैफिक लाइट की विशेषता यह होगी कि इस निर्माण कार्य को पीपीपी मोड पर कराए जाने के कारण इन पर सरकार अथवा निगम को खर्च नहीं करना पड़ेगा। इस परियोजना पर करीब ३ करोड़ रुपए खर्च होंगे और ३० लोगोंं को रोजगार प्राप्त होगा।
जीएम प्रोजेक्ट प्रदीप गैरोला ने बताया कि एमडीडीए ने ब्रिडकुल को दून स्मार्ट टै्रफिक लाइट मैनेजमेंट सिस्टम और दून स्मार्ट पार्किंग के लिए कार्यदायी संस्था बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है। ऐसे में ब्रिडकुल भी दून की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता। इन लाइट सिस्टम के लगने से दूनवासियों को जाम की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। आगामी तीन-चार माह में लोगों को दून स्मार्ट सिटी में परिवर्तित होते दिखने लगेगा।
जीएम एचआर अनूप कुमार ने बताया कि गुजरात के सूरत में १३ सड़कों पर सफलतापूर्वक रोड साइड पार्किंग चल रही हैं। यही कारण है कि यहां भी इसी फार्मूले को लागू किया जा रहा है। दूनवासियों के लिए संतुलित टै्रफिक बनाना ही इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है। इस प्रोजेक्ट को सोलास्टर कंपनी संचालित कर रही है।