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खतरनाक खेल: सरकारी स्कूल बंद करके शिशु मंदिरों को वित्त पोषित किए जाने की तैयारी  

in सियासत
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पर्वतजन ब्यूरो//

भारतीय जनता पार्टी राज्य में सरकार बनने के बाद से ही बहुत तेजी से अपने असली एजेंडे को जमीन पर उतारने में लग गई है।

एक तरफ शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने राज्य में 3000 स्कूलों को बंद करने का फरमान सुना दिया है तो वहीं दूसरी तरफ अगस्त महीने से ही खामोशी से सरस्वती शिशु मंदिरों को वित्तपोषित किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है।


भारतीय जनता पार्टी राजकीय स्कूलों को बंद करके सरस्वती शिशु मंदिरों को यह पैसा डाइवर्ट करने के चक्कर में है।

इस दिशा में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पूरी प्लानिंग के साथ युद्ध स्तर पर अमलीजामा पहनाने में जुटा हुआ है।

2 दिन पहले शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे 15 सितंबर को यह जानकारी दी थी कि 10 और 10 से कम छात्र संख्या वाले बेसिक और जूनियर स्कूलों को विलय कर दिया जाएगा।

इस तरह से लगभग 3000 स्कूल बंद कर दिए जाएंगे। शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट ने 14 अगस्त की शाम को इस आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। आदेश के अनुसार 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी बे बेसिक स्कूलों को बंद करके एक स्कूल में विलय किया जाएगा तथा 3 किलोमीटर के दायरे में आने वाले जूनियर हाई स्कूलों का भी एक स्कूल में विलय कर दिया जाएगा। और अरविंद पांडे का तर्क  है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

यही नहीं बंद होने वाले स्कूलों की इमारतों को अन्य विभागों को भी सौंपे  जाने की तैयारी है।

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सरकार ने अपना दूसरा छिपा हुआ एजेंडा बिल्कुल भी जनता के सामने नहीं रखा। जिससे यह साफ है कि या तो अफसरों पर कोई दबाव है अथवा सरकार की मंशा ही साफ नहीं है ।

आखिर क्या कारण है कि जिस एजेंडे पर सरकार अगस्त माह की शुरूआत  से लगी हुई है, उस एजेंडे की भनक भी किसी को कानोंकान लगने नहीं दी गई। शासन स्तर से 25 अगस्त 2017 को विद्यालय शिक्षा निदेशक ने राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारी से यह रिपोर्ट मांगी थी कि उनके जनपद मे कितने सरस्वती शिशु मंदिर शिशु मंदिर है तथा कौन-कौन से विद्या मंदिर हैं ,उनमें कितने छात्र संख्या है और उनसे 1 किलोमीटर की दूरी में तथा 3 किलोमीटर की परिधि में कौन-कौन से विद्यालय हैं!!

जाहिर है कि यही पैमाना सरकार ने छात्र संख्या की आड़ लेकर सरकारी विद्यालयों को बंद करने का रखा है।

अब यह कहानी यहीं से समझ में आ जाती है कि सरकारी स्कूल बंद करने के लिए यह पैमाना है कि 1 किलोमीटर के दायरे में जितने प्राइमरी स्कूल हैं, सब एक में समाहित हो जाएंगे तथा 3 किलोमीटर के दायरे में जो जूनियर स्कूल है वह भी एक में समाहित हो जाएंगे। बिल्कुल इसी तरह का पैमाना सरस्वती शिशु मंदिरों और विद्या मंदिरों को वित्तपोषित करने के लिए बनाया गया है और उनसे भी यही जानकारी मांगी गई है कि उनकी 1 किलोमीटर तथा 3 किलोमीटर के दायरे में कौन-कौन से विद्यालय हैं!)

जाहिर है कि सरकार राजकीय स्कूलों को बंद करके सरस्वती शिशु मंदिर के स्कूलों को वित्तपोषित करना चाहती है।

शिक्षा निदेशक युद्ध स्तर पर इस योजना को अमलीजामा पहनाने में लगे हैं। इसके अनुपालन में जिला शिक्षा अधिकारियों ने सभी खंड और उप शिक्षा अधिकारियों को जल्दी से जल्दी जानकारी देने को कहा है। तथा उप शिक्षा अधिकारियों ने अपने सीआरसी को एक निश्चित फॉर्मैट में जानकारी जल्दी से जल्दी उपलब्ध कराने को कहा है।

यह जानकारी विद्यालयों से माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल प्रोग्राम में कुर्ती देव 10 फॉन्ट में तैयार करके ईमेल करने तथा वाहक के माध्यम से उपलब्ध कराने को कहा है।

पर्वतजन के पास उपलब्ध दस्तावेज व अन्य  जानकारी के अनुसार सरकार का शिक्षा विभाग पर इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए बहुत दबाव है।  जाहिर है कि शिशु मंदिरों के नेटवर्क के सहारे भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता अपना नेटवर्क जमीनी स्तर पर बनाए रखते हैं। राज्य में राज्य गठन के बाद से ही भाजपा से जुड़े विधायक तथा सांसद अपनी विधायक और सांसद निधि को सरकारी स्कूलों की दशा को ठीक करने के बजाए काफी धन केवल सरस्वती शिशु मंदिर के स्कूलों को संवारने के लिए खर्च करते रहे हैं ऐसे में अब भाजपा का सरस्वती शिशु मंदिर के स्कूलों को वित्तपोषित कर देना गंभीर सवाल खड़े करता है भाजपा की मंशा पर सवाल इसलिए भी खड़े होते हैं कि राज्य में कई ऐसे इलाके है जहां छात्रों को स्कूल तक पहुंचने के लिए 5-5 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है ।वहां के गांव वाले आंदोलन भी कर रहे हैं लेकिन सरकार वहां तो स्कूल खोलने के विषय में नहीं सोचती ,उल्टा सरकारी स्कूलों को बंद करके अपनी संस्था के निजी स्कूलों को आगे बढ़ाना चाहती है।नैनीताल जिले के रामनगर मे टेडा गांव के ग्रामीणो का ऐसा ही आंदोलन मई माह मे सरकार को ज्ञापन देने के बाद भी बेनतीजा है।
सरकार के इस एजेंडे से आम छात्रों को कितना फायदा होगा यह भी भविष्य के गर्भ में है। किंतु सरकारी स्कूलों को खत्म करके अपनी पार्टी के निजी स्कूलों को बढ़ावा देने का छुपा हुआ एजेंडा सरकार की छवि को जरूर नुकसान पहुंचा सकता है।

जैसे ही सरकार सरकारी स्कूलों को बंद करके सरस्वती शिशु मंदिरों को वित्तपोषित करने के दूसरे चरण पर काम करना शुरू करेगी तो अन्य राजनीतिक दल इसका विरोध कर सकते हैं।

देखना यह है कि सरकार RSS के इस एजेंडे पर कितना सफल हो पाती है! और इसका जनता को क्या लाभ मिलता है!

 

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