तमाम बड़े पदों पर पौड़ी के लोगों की धमक के बीच पौड़ी के एक और व्यक्ति की ताकत उत्तराखंड में सर चढ़कर बोल रही
डोईवाला अस्पताल के लिए धस्माना के अस्पताल द्वारा निशुल्क डॉक्टर देने का एमओयू हस्ताक्षर
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उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री बनने से पहले एनएसए चीफ अजीत डोभाल, सेना प्रमुख विपिन रावत से पहले रॉ चीफ सहित तमाम बड़े पदों पर पौड़ी के लोगों की धमक के बीच पौड़ी के एक और व्यक्ति की ताकत उत्तराखंड में सर चढ़कर बोल रही है।
उत्तराखंड की सरकारों में कुछ नाम ऐसे हैं, जो हर दल की सरकार में कॉमन कहे जाते हैं। ऐसा ही एक नाम पौड़ी जनपद के विजय धस्माना का है। धस्माना की धमक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर सरकार का हर मंत्री-विधायक लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन धस्माना से अनुरोध करने के लिए फोन करता रहता है। मंत्री-विधायकों के अलावा विभिन्न दलों के छोटे-बड़े नेता भी धस्माना से कभी किसी मरीज के इलाज पर खर्च होने वाली धनराशि को कम करने के लिए तो कभी उनसे छोटे-बड़े चुनावों के लिए चंदा मांगने के लिए फोन करते हैं। यही नहीं, धस्माना को तमाम सामाजिक और सांस्कृतिक मंचों पर ये लोग विशिष्ट अतिथि से लेकर मुख्य अतिथि तक बनाने में गुरेज नहीं करते।
विजय धस्माना हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट के कुलपति और मुख्य ट्रस्टी भी हैं। उत्तराखंड सरकार के बड़े-बड़े अधिकारी भी धस्माना के मेडिकल कालेज में अपने और अपने रिश्तेदारों के एडमिशन के लिए सलाम ठोकते दिखाई देते हैं।
विजय धस्माना की पहली धमक तब दिखाई दी, जब नारायण दत्त तिवारी ने मुख्यमंत्री रहते धस्माना के अस्पताल को कैंसर यूनिट खोलने के लिए करोड़ों रुपए की संस्तुति की। इसके बाद २००७ के चुनाव में पहली बार विधायक बनने वाले भाजपा के प्रेमचंद अग्रवाल ने धस्माना के अस्पताल को विधायक निधि देकर चुनाव में उन पर किया गया उपचार उऋण किया।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो पहले विजय बहुगुणा और फिर हरीश रावत नियमित रूप से जो भी हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट के हित में निर्णय लेते रहे। हरीश रावत सरकार में डोईवाला अस्पताल के उच्चीकरण का प्रस्ताव यह कहकर नकार दिया गया कि समीप ही धस्माना का अच्छा-खासा अस्पताल मौजूद है।
प्रदेश में डबल इंजन की सरकार आई तो सरकार ने डोईवाला अस्पताल के लिए धस्माना के अस्पताल द्वारा निशुल्क डॉक्टर देने का एमओयू हस्ताक्षर कर दिया। ४५ दिनों तक धरने-प्रदर्शन करने वाले कांग्रेसी अब धस्माना की इस धमक के सामने धरना-प्रदर्शन का सामान समेटकर घर चले गए हैं।
कुल मिलाकर भाजपा-कांग्रेस की सरकारों का एक निजी मेडिकल कालेज के सम्मुख इस प्रकार का समर्पण कई सवाल खड़े करता है।