कुमार दुष्यंत
हरिद्वार ।बड़े अखाड़े के कोठारी व अखाड़ा परिषद् के प्रवक्ता महंत मोहनदास को लापता हुए पूरा एक महीना बीत गया है।पुलिस अब तक उनके बारे में कोई भी जानकारी जुटाने में नाकामयाब रही है।उनका अता-पता न चलने से जहां संत समाज उनके साथ किसी अनहोनी को लेकर बैचैन है।वहीं पुलिस की जांच अब हरिद्वार और बड़े अखाड़े के इर्द-गिर्द ही आकर ठहर गयी है।
माना जा रहा है कि महंत की गुमशुदगी का सूत्र हरिद्वार में ही है।यूपी एसटीएफ को भी ऐसे ही कुछ संकेत मिले हैं ।जिनकी पडताल जारी है।हरिद्वार व अखाड़े के मोहनदास के निकट रहने वाले कुछ लोग भी पुलिस के रडार पर हैं।एडीजी अशोक कुमार महंत के स्वयं ही कहीं चले जाने की संभावना से इंकार नहीं कर रहे ।लेकिन महंत के निजी सामान की अटैची का ट्रेन में मिलना पुलिस की इस थ्योरी पर सवाल खडे कर रहा है।
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महंत मोहनदास पंंद्रह सितंबर को मुंबई के लिए निकले थे।तब से अबतक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।मोहनदास को खोजने के पुुलिस के प्रयासों का अबतक का परिणाम शून्य रहा है।मोहनदास की बरामदगी तो दूर पुलिस अभीतक उनकी गुमशुदगी के ठीक ठीक कारणों तक भी नहीँ पहुंच पायी है।पुलिसिया जांच अभीतक प्रापर्टी विवाद, लेेेेनदन व अपहरण के इर्द-गिर्द रही
है।लेकिन अब इतना जरुर है कि पुलिसिया जांच हरिद्वार व महंत मोहनदास के बड़े अखाड़े के इर्द-गिर्द आकर ठहर गयी है।
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वैसे धर्मनगरी में संतों के अज्ञातवास में जाने की घटनाएँ भी होती रही हैं ।महंत मोहनदास के बारे में भी बताया जा रहा है कि वह पूर्व में भी इसी तरह गायब होकर स्वयं लौट आए थे।वर्ष 1998 के कुंभ में जब जूना अखाड़े के दशहरा गिरी लापता हुए तो यूपी से दिल्ली तक हडकंप मच गया था।उनके बरामद होने पर पता चला कि वह स्वयं ही अज्ञातवास में चले गये थे।
बहरहाल महंत मोहनदास के अबतक न मिलने से संतों में उनके साथ किसी अनहोनी की आशंका बढ रही है।पुलिस को पर्याप्त समय दे चुकने के बाद संत अब अपने महंत की तलाश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करने जा रहे हैं।क्योंकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत पहले ही मोहनदास की खोज के लिए सीबीआई पर अपनी सहमति जता चुके हैं।इसलिए संभव है कि संतों की पीएम से मुलाकात के बाद अब यह मामला सीबीआई के पास चला जाए।