कुकर्मों में लिप्त बाबाओं के आएदिन जेल पहुंचने से संतजगत हैरान है।क्योंकि व्याभिचार मामलों में जेल पहुंचे आसाराम, रामपाल व रामरहीम सभी समाज में संतों की ही भांति पूजे जाते रहे हैं। इसलिए संतजगत भी इन घटनाओं से स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा है। जिसके बाद अब संतों की अखाड़ा परिषद् ने इन कथित बाबाओं के कुकर्मों की कालिख से संतसमाज को बचाने के लिए न केवल ऐसे
संतों को अखाड़ा परिषद् से बाहर करने का निर्णय लिया है। बल्कि संत सरकार से भी ऐसे संतों को संत होने के नाते दी जा रही सुविधाएं हटाने की सिफारिश करेंगे।अखाड़ा परिषद् फर्जी संतों के नामों को उजागर कर समाज को भी इन फर्जी बाबाओं से सावधान करने का काम करेगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने असली-नकली संतों में भेद करने वाली यह महत्वपूर्ण बैठक दस सितंबर को प्रयाग में आहूत की है।बताया जा रहा है कि परिषद् ने इस बैठक में फर्जी संतों के होने जा रहे खुलासे को लेकर ऐसे संतों की प्रारंभिक सूची भी तैयार कर ली है।इसमें आसाराम, रामरहीम सहित नारायण सांई भीमानंद, स्वामी ओमनमशिवाय, राधेमां, अच्युतानंद, निर्मल बाबा, योग सत्यम, रामपाल व उमानंद आदि नाम शामिल हैं।
अखाड़ा परिषद् संतों का राष्ट्रीय स्तर पर नेर्तत्व करती है। कुंभ-अर्द्धकुंभ जैसे बड़े पर्वों पर शासन-प्रशासन अखाड़ा परिषद् के निर्देशानुसार ही इन महामेलों की व्यवस्थाएं करते हैं।लेकिन दबाव-प्रभाव व लोभ-प्रलोभनों के चलते कथित संत संतों की इस शीर्ष संस्था में भी घुसपैठ बनाने में कामयाब होते रहे हैं। कुछ समय पूर्व हरिद्वार में एक प्रतिष्ठित अखाड़े ने राधे मां को रातों-रात महामंडलेश्वर पद पर अभिसिक्त कर दिया था। दिल्ली के शराब कारोबारी सचिन दत्ता को भी इसी प्रकार महामंडलेश्वर बनाने की तैयारी की गयी थी। हरिद्वार में दो दिन पूर्व किट्टी का पैसा हडपने के विवाद में सामने आयी एक साधु दंपत्ति भी अखाड़े से जुड़ी हुई है। हाल की इन घटनाओं के बाद अखाड़ा परिषद् अब साधु-संत बन संत जगत को बदनाम करने वाले कथित साधुओं के खिलाफ अभियान पर निकल पड़ा है।