IAS तथा पूर्व प्रमुख सचिव डॉ उमाकांत पंवार नई जिम्मेदारी के लिए जोश में नहीं लगते। 3 माह पहले अचानक से वी आर एस लेकर सबको चौंकाने वाले डॉक्टर उमाकांत पंवार स्टेट सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस( सीपीपीजीजी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तो बन गए लेकिन 8 अगस्त 2017 को इसके गठन से लेकर अब तक कार्यालय तो दूर उनके बैठने के लिए एक अदद कुर्सी तक नहीं है।
सीपीपीजीजी नियोजन विभाग के अंतर्गत गठित किया गया है। गठन के बाद से इसकी पहली बैठक 29 सितंबर को निर्धारित की गई थी। किंतु अपरिहार्य कारणों से वह बैठक स्थगित कर दी गई। इसके बाद एक और बैठक 10 अक्टूबर को निर्धारित की गई, लेकिन वह भी कैंसिल हो गई।
21 नवंबर को एक बार फिर से अपराह्न 3:00 बजे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक रखी गई है। इस बैठक के भी निरस्त होने के पूरे आसार हैं।
सीपीपीजीजी का गठन विभिन्न विभागों के नीति नियोजन संबंधी कार्यों में सहयोग करने के लिए किया गया था। उमाकांत पंवार बगैर इस्तीफा दिए भी इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकते थे। तब वह कहीं अधिक प्रभावी होते वीआरएस लेने के बाद ऐसा लगता है कि उन्हें नौकरशाह पहले जैसी तवज्जो नहीं दे रहे।
विभिन्न विभागों मे उनके सहयोग को अन्य नौकरशाह अपने कार्यों में हस्तक्षेप मान सकते हैं। ऐसे में स्वयं उमाकांत पंवार को यह लगता होगा कि इस्तीफा देकर उन्होंने जल्दबाजी कर दी। उनकी बॉडी लैंग्वेज में पहले जैसा जोश नहीं दिखाई देता। यही कारण है कि दो बार बैठक तय होने के बाद निरस्त हो गई। और अब तीसरी बैठक के भी यही आसार हैं।
यह बैठक एक तरह से सीपीपीजीजी की प्रथम कार्यकारिणी की बैठक होगी। इस बैठक के एजेंडे में मुख्यतः बजट, सीपीसीजी के ढांचे, कार्यक्षेत्र, कार्यालय की साज-सज्जा, कंप्यूटर, फर्नीचर, किराए के भवन और गाड़ी आदि के साथ ही कंसल्टेंट तथा कर्मचारियों की तैनाती और जॉब चार्ट आदि विषय होंगे।
इस संस्था की एग्जीक्यूटिव कमेटी में मुख्य सचिव अध्यक्ष होते हैं। अपर मुख्य सचिव उपाध्यक्ष तथा प्रमुख सचिव नियोजन प्रमुख सचिव वित्त सदस्य होते हैं और सदस्य सचिव स्वयं सीपीपीजीजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे।
चिकित्सा स्वास्थ्य के अपर मुख्य सचिव और पीडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव सहित शहरी विकास विभाग के सचिव इसमें विशेष आमंत्रित सदस्य रहेंगे। इससे ऐसे लगता है कि जैसे टेलीमेडिसिन, सड़कों का चौड़ीकरण और अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन आदि क्षेत्रों मे सलाह के कार्य इसके प्रमुख कार्य हैं।
सीपीजीजी का गठन राज्य के सतत विकास हेतु नियोजन तथा नीति निर्धारण को प्रभावी, उपयोगी तथा व्यवहारिक बनाए जाने एवं विभिन्न अकादमिक संस्थाओं एवं विषय विशेषज्ञों के सहयोग से क्रियात्मक शोध एवं नीति पर पत्र आदि तैयार करने के लिए किया गया है।
यह विभिन्न विभागों के नीति नियोजन संबंधी कार्यों में सहयोग प्रदान करेगा तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों शिक्षण संस्थाओं तथा अन्य निकायों में नीति नियोजन शोध सर्वेक्षण अधिकारियों में सहयोग करेगा। बहरहाल 3 माह से एक कुर्सी तक न होना और दो बार बैठक तय होने के बाद भी निरस्त हो जाना दर्शाता है कि या तो उमाकांत पंवार की बात कोई सुन नहीं रहा या फिर वही ज्यादा उत्साह में नहीं है। यह भी संभव है कि शुरुआती एक आध मीटिंग के बाद इसकी एग्जीक्यूटिव बॉडी के सदस्य ही इस मीटिंग में ना जाकर अपनी जगह जूनियर अफसरों को भेज दें। ऐसे में आधे अधूरे मन से शुरू हो रहे इस काम को और धक्का लगना तय है।
यदि ऐसा हुआ तो सीपीपीजीजी रिटायर अफसरों को खपाने का एक और ठिकाना मात्र बनकर रह जाएगा।
एक कहावत है पांव पर कुल्हाड़ी मारना, लेकिन इस केस में ऐसा लगता है कि डॉ उमाकांत पंवार ने जल्दबाजी में सेवानिवृत्ति से 9 साल पहले वीआरएस लेकर कुल्हाड़ी पर पैर मार लिया है।