कुलदीप एस राणा//
जब से चिकित्सा शिक्षा विभाग अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से हटा कर केंद्र से लौटे सचिव नितेश झा को दिया गया है, दून मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ प्रदीप भारती की परेशानियां बढ़नी शुरू हो गयी हैं। नितेश झा ने दिखाया प्रिंसिपल प्रदीप भारती को आईना
विभाग की जिम्मेदारी मिलने के बाद से नितेश संबंधित अधिकारियों की ताबड़तोड़ समीक्षा बैठकें ले रहे हैं। पिछले हफ्ते डॉ प्रदीप भारती भी कालेज की समस्याओं के नाम पर पूर्व की भांति चिकित्सा शिक्षा निदेशक आशुतोष सायना व कुलपति डॉ सौदान सिंह को बाइपास कर सीधे नितेश झा से मिलने सचिवालय पहुँच गए। जिससे तमतमाये नितेश झा ने डॉ प्रदीप भारती को यह कहते हुए उल्टे पाँव लौटा दिया कि आप कालेज पर ध्यान दें, बाकी समस्याओं को हम देख लेंगे।
पहले ओम प्रकाश से करीबी होने के कारण डॉ भारती सीधे शासन से अपने मनमाने काम करवा लाते थे और निदेशालय को बाद में इसकी सूचना मिलती थी। चिकित्सा शिक्षा में डॉ भारती की मनमानियों का आलम यह था कि विवि एक्ट 2014 में दून मेडिकल कालेज को चिकित्सा शिक्षा विवि का मुख्य परिसर घोषित होने के बावजूद भी वह विवि को कालेज परिसर में स्थायी भवन दिए जाने के लिए अड़चने पैदा करते रहे, क्योंकि विवि के कॉलेज में आ जाने से वर्तमान की सारी प्रशासनिक व्यवस्थाएं बदल जाएंगी और कालेज के सारे वित्तीय, प्रशासनिक एवं अकादमिक अधिकार स्वतः ही डॉ भारती के हाथ से निकल कर कुलपति डॉ सौदान सिंह के हाथ में आ जायेंगे। जिससे परिसर में प्रिन्सिपल डॉ भारती का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा ।
वर्ष 2016 में भी जब तत्कालीन सचिव सेंथिल पांडियन ने एक्ट की व्यवस्था के अनुरूप कालेज में विवि को स्थायी भवन दिए जाने हेतु शासनादेश जारी किया, तब भी डॉ भारती पर उसका कोई असर नही पड़ा। उल्टा उन्होंने शासनादेश के विरुद्ध समाचार पत्रों में अनावश्यक बयान देना शुरू कर दिया, जिस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अक्टूबर 2016 में सचिव सेंथिल पांडियन द्वारा डॉ भारती को कारण बताओ नोटिस तक जारी किया, किन्तु अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश का संरक्षण प्राप्त डॉ भारती पर शासन के कड़े रुख का कोई असर नहीं हुआ।
अब देखना यह है कि क्या नितेश झा के सचिव रहते चिकित्सा शिक्षा विवि को दून मेडिकल कालेज में स्थायी भवन मिल पायेगा।