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गरीब किसान के साथ वर्ल्ड बैंक आपदा खंड की करामात!विरोध हुआ तो बैकफुट पर 

November 29, 2017
in पर्वतजन
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वर्ल्ड बैंक आपदा खंड की करामात। बिना काश्तकार की अनुमति के काट दिया खेत। विवाद होने पर बदली पुल  के पाये की जगह , बदलना पड़ा डिजाइन।
समय पर निर्माण पूरा नहीं होने पर पर्वत जन की पड़ताल 
गिरीश गैरोला
वर्ल्ड बैंक आपदा खंड का नया खेल सामने आया है।उत्तरकाशी विकास भवन से बोंगा–भेलुड़ा गांव होते हुए साड़ा गांव को जोड़ने के लिए प्रस्तावित पुल की अबटमेंट की नींव के लिए स्थानीय काश्तकार की जमीन बिना पूछे खोद डाली गयी , इतना ही नहीं 6 महीने तक वहां निर्माण कार्य भी चलता रहा। विवाद होने पर न सिर्फ  किसान के खेत मे हुए गड्डे  को भरना पड़ा बल्कि पास मे दूसरे  स्थान पर फिर से नींव खोदनी पड़ी जिसके लिए पूरे पुल की डिजाइन भी बदलनी आवश्यक हो गयी।
518.09 लाख लागत वाले इस पुल का निर्माण कार्य 11 मार्च 2013 को शुरू हुआ था जिसे 10 जून 2017 को पूर्ण होना था किन्तु 5 महीने अतिरिक्त बीत जाने के बाद भी पुल के पाये भी तैयार नहीं हो सके।
 पर्वत जन ने पड़ताल की तो पता चला कि विभाग ने बिना पूर्व अनुमति के ही ग्रामीण किसान  के जमीन पर पुल के पाये के लिए जमीन खोद डाली।
विवाद होने पर पहले उस स्थान पर गड्डे को भरा  गया और फिर दूसरे स्थान पर नींव खोदी गयी। इस  दौरान एक वर्ष का समय यूं ही बरवाद हो गया और पुल के पाये की डिजाइन भी नए सिरे से करवानी पड़ी। इस कार्य मे समय के साथ सरकारी धन की भी खूब बरबादी हुई। जिस पर अधिकारी मौन साध गए हैं। मौके पर मौजूद साइट इंचार्ज राजेंद्र गुसाई ने बताया कि जमीन पर  विवाद के चलते एक वर्ष का समय बर्बाद हुआ है और उन्हे नयी ड्राईंग भी अभी कुछ दिन पूर्व ही मिली है।  लिहाजा सिविल कार्य मे ही करीब 8 महीने का समय और लगने  वाला है, और पुल को खड़े होने मे और अधिक समय लग सकता है।
अब  सवाल ये उठता है कि बिना किसान को पूछे कैसे उसकी जमीन खोद दी गयी और इस दौरान निरीक्षण करने पंहुचे विभागीय अधिकारी क्या तमाशा देखते रहे ? क्यों समय पर गलती को नही सुधारा गया ?
वर्ल्ड  बैंक आपदा खंड के अधिशासी अधिकारी रमेश चंद्रा कहते है कि प्रस्तावित जमीन पर मिट्टी की बियरिंग कैपासिटी कम होने के चलते नींव का स्थान बदलना पड़ा, किन्तु 50 मीटर की दूरी पर ही खोदी गयी नींव मे कैसे मिट्टी की बियरिंग कैपासिटी ठीक हो गयी इस पर वह चुप्पी साध गए। उन्होने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों और जन प्रतिनिधियों की संस्तुति पर ही पुल की स्वीकृति मिली है।

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