टेक ओवर कार्यक्रम मे थानेदार बनी पूनम–बालिका दिवस स्पेशल
किशोरियों के साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ पुलिस से दोस्ताना संबंध के लिए एक पहल
श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम की पहल पर एक दिन थाना किशोरियों के हवाले
पुलिस मुख्यालय से वर्दी और स्टार पहनने के लिए मिली विशेष इजाजत
पुलिस कप्तान की मौजूदगी मे एक दिन की होगी थानेदारी
गिरीश गैरोला// उत्तरकाशी
एक दिन के सीएम की फिल्मी कहानी के बाद रियल लाइफ मे एक दिन के थानेदार की ज़िम्मेदारी उत्तरकाशी के हीना गांव की पूनम रावत को मिलने जा रही है।पुलिस मुख्यालय से विधिवत इजाजत मिलने के बाद 11अक्तूबर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के खास मौके पर पूनम को खाकी वर्दी और स्टार लगाने की इजाजत मिली है। बुधवार को पाॅलिटेक्निक की इस छात्रा पुनम रावत को एक दिन की थानेदारी सौंप दी जाएगी।
पुलिस कप्तान की मौजूदगी मे एक दिन पूनम उत्तरकाशी कोतवाली के मामले अपने स्तर से देखेंगी।भुवनेश्वरी महिला आश्रम के जिला प्रमुख गोपाल थपलियाल ने बताया कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को अक्सर समाज और पुलिस के सामने नहीं लाया जाता है । खासकर किशोरियों के साथ होने वाले अपराधों को शर्म और झिझक के कारण छिपा दिया जाता है, जिसके चलते बाल अपराधों को बढ़ावा मिलता है। अक्सर बच्चों को न तो इसकी कानूनी जानकारी होती है और न उनके अधिकार। बच्चों के माता -पिता भी ऐसे मामले मे पुलिस को जानकारी देने मे इच्छुक नहीं होते है। लिहाजा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर टेक ओवर कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिन के लिए किशोरी को ही थाने की प्रभार टेक ओवर कर उन्हे कानून के साथ दोस्ताना व्यवहार अनुभव करने का मौका दिया जा रहा है।
उत्तरकाशी का थाना कोतवाली का दृश्य सब कुछ अपनी जगह है। बस थानेदार की कुर्सी पर एक दिन के लिए पूनम रावत को ज़िम्मेदारी दी गयी है ।
पुलिस कॉन्स्टेबल की ज़िम्मेदारी मेघा बूटोला को दी गयी है। बाल कल्याण अधिकारी के रूप मे दीक्षा रावत और बाल कल्याण समिति के सदस्य के तौर पर स्मिता, राजेशवरी और हेमलता सेमवाल को एक दिन के लिए नामित किया गया है। एक दिन की इस ज़िम्मेदारी के लिए इन्हे 15 दिनों का कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है। बच्चो के साथ होने वाले अपराधों के लिए कानून की किताबों मे खूब प्राविधान किया गया है।18 वर्ष की उम्र के बाल अपराधी के साथ किसी वयस्क अपराधी की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता है।
बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए 1098 निशुल्क नंबर डायल की सुविधा दी गयी है। जिसकी सूचना पर बाल कल्याण समिति के लोग तत्काल एक्टिव होकर पीड़ित किशोर – किशोरी के पास पहुंचते हैं। जिसके बाद उन्हे बड़े प्यार से थाने लाया जाता है। प्रत्येक थाने मे बच्चों के मनोविज्ञान को समझने वाले एक बाल कल्याण अधिकारी की तैनाती सुनिश्चित की गयी है। बाल मजदूरी हो अथवा बच्चों के साथ मारपीट , शोषण, नशे के कारोबार मे बच्चों का उपयोग अथवा सेक्सुअल अपराध, बच्चे बेझिझक अपनी बात पुलिस के सामने रख सकें ताकि उन्हे कानूनी मदद और उनका हक मिल सके , यही इस पूरी कवायद का उद्देश्य है।