सरकार का पक्ष रखने की बजाय खुद की इमेज बिल्डिंग में लगे सलाहकार
उत्तराखंड में इन दिनों ६०० करोड़ रुपए का खाद्यान्न घोटाला चर्चा में है। शुरुआत में आरएफसी कुमाऊं बीएस धनिक को बर्खास्त करने की खबर से अचानक लाइम लाइट में आई सरकार को तब झटका लगा, जब तत्काल साथ-साथ यह खबर भी फैला दी गई कि धनिक को बर्खास्त नहीं किया गया, बल्कि उनका सेवा विस्तार खत्म किया गया। अभी सरकार घोटाले को लेकर अपनी पीठ ढंग से थपथपा भी नहीं पाई थी कि घर में ही झगड़ा शुरू हो गया।
सरकार चाहती थी कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इसे जीरो टोलरेंस के रूप में प्रचारित किया जाए और सारा श्रेय डबल इंजन के पायलट मुख्यमंत्री को मिले, किंतु इस बीच हाल ही में अपने गांव जाकर रामलीला का रिबन काट गले में मालाएं डलवाने वाले एक सलाहकार द्वारा इस मुद्दे को इस तरह प्रचारित किया गया कि इंजन के ब्रेक फेल होने की स्थिति आ गई। सलाहकार ने जगह-जगह लोगों को बताना शुरू किया कि राशन की दुकानों का उनका और उनके खानदान का बहुत पुराना कारोबार है। उन्होंने ही इस घोटाले की डिटेल निकालकर सामने रखी। इसलिए इस सबका श्रेय सरकार की बजाय सलाहकार को मिलना चाहिए।
इससे पहले कि सरकार एक प्रेस कांफ्रेंस कर ६०० करोड़ के इस घोटाले पर अपने कॉलर खड़े करती, सलाहकार ने शाम को मीडिया को खबर लीक कर दी। हालांकि अगले दिन अखबारों में खबर छपी, किंतु उसके बाद सलाहकार को जो झाड़ पड़ी, उसके बाद से सलाहकार कोपभवन में बताए जा रहे हैं। कई लोगों को बता चुके हैं कि वे तो सरकारों को आईना दिखाने के लिए जाने जाते रहे हैं। इस प्रकार की झाड़ तो बर्दाश्त नहीं की जाएगी।