कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अनियमितता के मामले में समाज कल्याण विभाग देहरादून के नोडल अधिकारी कान्तिराम जोशी के खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर.के खिलाफ गिरफ्तारी पर रोक संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने यााचिकाकर्ता के अधिवक्ता के नहीं पहुंचने पर याचिका को डिफ़ॉल्ट डिसमिस कर दी है। अब कान्तिराम जोशी पर गिरफ्तारी की प्रबल तलवार लटक गई है।
अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने बताया कि न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने आज सुनवाई के बाद याची के अधिवक्ता की गैरमौजूदगी में याचिका को खारिज कर दिया है। । मामले के अनुसार कांतिराम जोशी के खिलाफ 29 जनवरी 2019 को देहरादून के डालनवाला थाने में देहरादून के जिला समाज कल्याण अधिकारी व पदेन जिला प्रबन्धक बहुउद्देशीय वित्त विकास निगम ने आई.पी.सी.की धारा 420, 467, 468, 371 व 120बी के तहत कान्तिराम जोशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि जब कान्तिराम जोशी 2001 में देहरादून समाज कल्याण विभाग में अपर जिला विकास अधिकारी थे तो उन्होंने स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान के अंतर्गत, प्रेम नगर चुंगी क्षेत्र में बनी 28 दुकानों में से 8 दुकानों को अपात्र लोगो को आवण्टित कर दिया था। इसकी जाँच तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा की गयी और 21 अक्टूबर 2003 को कान्तिराम जोशी को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गयी थी। इस एफ.आई.आर.के खिलाफ कान्तिराम जोशी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर एफ.आई.आर.को क्वेश(निरस्त)करने व अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की माँग की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार समाज कल्याण विभाग में हुए छात्र वृत्ती घोटाले की जाँच के लिए 8 मार्च 2017 को उन्हें शासन ने नोडल अधिकारी नियुक्त किया था । तब वे विभाग में आई.टी.सेल में तैनात थे। याचिकाकर्ता के अनुसार, उसने छात्रवृति घोटाले के खुलासे में महत्वपूर्ण योगदान दिया इसलिए द्वेष भावना से प्रेरित होकर उनके खिलाफ यह मुकदमा दर्ज किया गया है।
अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने बताया कि न्यायालय ने पूर्व में उनकी गिरफ्तारी पर मौखिक रोक लगा दी थी। आज न्यायालय नेे यााचिकाकर्ता के अधिवक्ता के नहीं पहुंचने पर याचिका को डिफ़ॉल्ट डिसमिस कर खारिज कर दी है। अब कान्तिराम जोशी पर गिरफ्तारी की प्रबल तलवार लटक गई है।