मोरी आपदा में मरे 27 लोगों को देखने की बजाय आईसीयू में भर्ती जेटली को देखने दिल्ली दौड़े सीएम ! डे प्लान मे भी नही आपदा पीडितों से संबंधित कोई जिक्र। यह हैं नीरो के नये संस्करण !
पूरे देश भर के अखबारों में आज शायद ही उत्तराखंड में कुदरत के कहर से बड़ी कोई खबर होगी।
सभी अखबारों ने प्राथमिकता से प्रकाशित किया है कि उत्तरकाशी में बादल फटने से 10 की मौत हो गई और 15-17 लापता हैं लेकिन हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कितनी बड़ी संवेदनशीलता है कि वह मोरी जाने के बजाय आईसीयू में विगत कई दिनों से भर्ती पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को देखने पहुंचे हैं।
यह प्रदेश के प्रति उनकी संवेदनशीलता और जवाबदेही की पराकाष्ठा है। इस बात की पुष्टि मुख्यमंत्री के डे प्लान से भी होती है सीएम के डे प्लान में आपदा पीड़ितों से संबंधित किसी भी प्लान का कोई जिक्र नहीं है।
सीएम का डे प्लान
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दिल्ली दौड़ से पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की याद ताजा हो जाती है जब वह केदारनाथ आपदा के ऐन मौके पर राज्य की संवेदना को साझा करने के बजाय दिल्ली के लिए उड़ गए थे।
गौरतलब है कि दिल्ली एम्स में अरुण जेटली लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर कई दिनों से जीवित हैं। अरुण जेटली को देखने के लिए सभी केंद्रीय मंत्री वहां पर हैं और राष्ट्रपति भी संभवत थोड़ी देर में पहुंच जाएंगे।
ऐसे में उनको देखने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की संभवतः अरुण जेटली से आईसीयू में मुलाकात तक ना हो सकेगी।
फिर अहम सवाल यह है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत वहां अरुण जेटली को देखने गए हैं या फिर केंद्रीय नेताओं को अपनी शक्ल दिखाने गए हैं !!
विजय बहुगुणा की यादें ताजा
हे भगवान कोई त्रिवेंद्र रावत को कोई समझाए ! आपदा पीड़ितों की बजाए मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा चर्चा में है : 16 17 जून 2013 में जब केदारनाथ में भीषण आपदा आई और हजारों लोग काल के गाल में समा गए तो उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा केदारनाथ आपदा पीड़ितों को बचाने की बजाय उनके दुख दर्द को दूर करने उन्हें राहत दिलाने का काम छोड़कर अगले दिन राहुल गांधी का जन्मदिन मनाने दिल्ली पहुंच गए थे।
विजय बहुगुणा के इस कदम प्रताप विपक्षी दल भाजपा ने जमकर बवाल काटा कि आखिरकार एक ओर लोग आपदा में मर रहे हैं और विजय बहुगुणा हाईकमान की जी हुजूरी करने दिल्ली जा रहे हैं विजय बहुगुणा की हरकत के कारण कुछ समय बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया कल उत्तरकाशी में आई भीषण आपदा में एक दर्जन लोग मारे गए और इससे अधिक गायब हैं।
पहाड़ के 8 जिलों में आज भारी बारिश की आशंका को देखते हुए-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं कल की भीषण आपदा में मारे गए लोगों का अभी तक अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ है। घायलों की वास्तविक संख्या भी किसी को मालूम नहीं। न ही इस आपदा में लापता लोगों के बारे में कुछ स्पष्ट हो पाया है। 8 जिलों के जिलाधिकारियों ने आपदा से बचाव के लिए ही आज स्कूल कॉलेजों की छुट्टी का ऐलान किया है।
उत्तराखंड की जनता सोच रही थी कि आज उत्तरा खंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और प्रभावितों से पीड़ितों से मुलाकात कर उनके दुख-दर्द ऊपर मरहम लगाने का काम करेंगे। उन्हें राहत पहुंचाने का काम करेंगे किंतु पहाड़ के लोगों का दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाने की बजाय वह दिल्ली चले गए।
कुछ लोगों का कहना है कि वह एम्स में अरुण जेटली को मिलने गए हैं कुछ का कहना है कि प्रदेश में चल रही राजनीतिक घटनाक्रम के कारण उन्हें अचानक दिल्ली जाना पड़ा यह दोनों स्थितियां उत्तराखंड में आई भीषण आपदा से कहीं भी मेल नहीं खाती एक राजा का कर्तव्य होता है कि वह अपनी प्रजा के प्रति संवेदनशील हो गंभीर हो और उनके लिए दिन-रात एक करने वाला हो। अरुण जेटली वेंटिलेटर पर हैं। जाहिर है उनसे मुलाकात का कोई औचित्य नहीं।
जहां तक राजनीतिक उठापटक का सवाल है जब तक हाईकमान की नजर में त्रिवेंद्र सिंह रावत बेहतर काम करते नजर आएंगे, तब तक उनकी कुर्सी को कोई खतरा नहीं।
हो सकता है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों के दौरा करने की बजाय इस प्रकार हाईकमान के चक्कर काटने से हाईकमान का मूड खराब हो जाए। यह पहला अवसर नहीं जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐसा किया हो। इससे पहले 6 अगस्त को टिहरी जनपद के कंगसाली में एक वाहन दुर्घटना में 10 मासूम बच्चे काल के गाल में समा गए तो मुख्यमंत्री को देहरादून से कंगसाली पहुंचने के लिए 11 अगस्त का इंतजार करना पड़ा।
कुल मिलाकर दोनों बड़ी दुर्घटनाओं और आपदा के बीच मुख्यमंत्री का उत्तराखंड के भ्रमण की बजाए दिल्ली जाना उनकी राजनीतिक समझ पर भी सवाल खड़े करता है। मुख्यमंत्री के आज के दिल्ली दौरे ने विजय बहुगुणा की उसी हरकत की याद जरूर दिला दी है जिसके कारण विजय बहुगुणा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
ईश्वर करें हाईकमान का मूड सही रहे और वे त्रिवेंद्र सिंह रावत को आपदा प्रभावित क्षेत्र में दौरा करने को भेज दें।