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मुख्यमंत्री दरबार में भारी पड़ती विशेष आईएएस लॉबी!

July 30, 2017
in पर्वतजन
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गजेंद्र रावत//

त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक ऐसा फैसला हुआ, जिस पर रोलबैक करने के बाद पुन: मुख्यमंत्री ने तमाम विरोधों के बावजूद अपने मन की कर डाली और संदेश देने की कोशिश की कि वो अपने अनुसार सरकार चलाएंगे, न कि किसी के दबाव में।
प्रचंड बहुमत के डबल इंजन की सरकार के पायलट त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो पीसीएस अफसरों ललित मोहन रयाल और मेहरबान सिंह बिष्ट को अपर सचिव मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाकर स्पष्ट कर दिया कि वे पारदर्शिता की सरकार को पारदर्शी अधिकारियों के साथ मिलकर चलाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। जिस समय इन दोनों अधिकारियों को अपर सचिव मुख्यमंत्री बनाया गया, तब मेहरबान सिंह बिष्ट सीडीओ हरिद्वार और ललित मोहन रयाल निदेशक दुग्ध में तैनात थे। इन दोनों ठेठ पहाड़ी युवा अफसरों के मुख्यमंत्री का सचिव बनने पर उत्तराखंड की घाघ आईएएस लॉबी ने बवाल काट दिया कि आखिरकार दो पीसीएस कैसे आईएएस को आदेश देंगे।
मुख्यमंत्री को दबाव में लिया गया। आनन-फानन में दोनों को अपर सचिव से संयुक्त सचिव बना दिया गया। दोनों खुर्राट अफसरों ने अपर सचिव से नीचे आने पर अपनी तौहीन मानी और वापस अपने मूल पदों पर जाने का निर्णय लिया कि वे आईएएस के सामने इस तरह घुटने के बल खड़े होकर काम नहीं करने वाले।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को यकीन था कि ये दोनों जोशीले अफसर डबल इंजन को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने का काम कर सकते हैं। इसलिए तमाम आईएएस अफसरों से लेकर तमाम तरह के राजनैतिक दबावों को दरकिनार करते हुए एक लाइन के आदेश में पुन: दोनों को अपर सचिव मुख्यमंत्री बना दिया गया।
उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार में अगर आज अफसरशाही को लेकर चर्चा है तो वो इस बात की कि आखिरकार सरकार के चार महीने पूरे होने के बावजूद ललित मोहन रयाल और मेहरबान सिंह बिष्ट कर क्या रहे हैं? सचिवालय के मजबूत सूत्र और प्रदेश की राजनीति को नजदीक से देखने वाले लोगों का कहना है कि इन दोनों नौजवान अफसरों पर एक विशेष आईएएस अफसरों की लॉबी पंजा मारकर बैठी है। दोनों को स्वच्छंद होकर काम नहीं करने दिया जा रहा। कल तक बेहतर परिणाम देने वाले अधिकारी आज आखिरकार क्यों नैपथ्य में हैं। यदि मुख्यमंत्री के ये दोनों अपर सचिव आज दबाव में हैं तो यह इस प्रदेश के लिए शुभ संकेत नहीं हैं और दोनों का ट्रैक रिकार्ड कहता है कि दबाव में ये ज्यादा देर न तो रुकने वाले हैं न टिकने वाले। अर्थात निकट भविष्य में लावा फूट पडऩे की संभावना प्रबल है।


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