कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आज पहली बार वीडियो कोंफ्रंसिंग के माध्यम से दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। न्यायालय ने वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए डॉक्टरों, पैरामैडिकल स्टाफ और सुरक्षा से सम्बन्धित आवश्यक वस्तुओं की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की और सरकार से जवाब मांगा है।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश में डॉक्टरों को संक्रमण से बचाव और डॉक्टरों को उचित उपकरण व अन्य सुविधाएं मुहैया कराने संबंधी कुछ सवाल किए हैं। राज्य के इतिहास में पहली वर्चुअल कोर्ट (वीडियो कांफ्रेंसिंग)में उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि वो लिखित जवाब में ये बताएं कि कोरोना से बचाव को लेकर राज्य में कितने सुरक्षा उपकरण उपलब्ध है, कितने उपकरणों की जरुरत है और कितने उपकरणों का प्रयोग अभी तक किया गया है?
बाईट :- दुष्यंत मैनाली, याचिकाकर्ता अधिवक्ता
इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की कोर्ट ने कहा कि उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल जिले के रामनगर में कोरोना टैस्ट लैब बनाने को लेकर क्या संभावना है और क्या इन जगहों पर भी सरकार लैब बना सकती है ? न्यायालय से याचिकाकर्ता ने ये भी पूछा था कि केंद्र और राज्य सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए राज्य में कितने सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए हैं ? डॉक्टरों और दूसरे मैडिकल स्टाफ की शुरक्षा के क्या उपाय किये गए हैं ? अभी तक कितने उपकरणों का उपयोग किया गया है, साथ ही न्यायालय ने कहा है कि उधमसिंह नगर, हरिद्वार और रामनगर में कोरोना टैस्ट लैब बनाने को लेकर क्या संभावना है, क्या इन जगहों पर भी सरकार लैब बना सकती है ?
न्यायालय ने इन सभी बिंदुओं पर राज्य और केंद्र दोनो ही सरकारों से 18 अप्रैल तक विस्तृत जवाब मांगा है।
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