राजाजी पार्क के मोतीचूर रेंज से बाघ गायब, पार्क प्रशासन में हड़कंप। बाड़े में मिला रेडियो कॉलर
रिपोर्ट- अनुज नेगी
देहरादून। राजाजी टाइगर पार्क के अधिकारियों की लापरवाही एक बार फिर देखने को मिली है। पार्क के अधिकारी इतने लापरवाह निकले कि एक दिन पूर्व में
कॉर्बेट नेशनल पार्क से राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के मोतीचूर रेंज में शिफ्ट किए गए बाघ का रेडियो कॉलर शनिवार को बाड़े में पड़ा मिला। बाघ बाड़े से गायब है। यह जानकारी सामने आने के बाद पार्क प्रशासन में हड़कंप मच गया। वहीं लापरवाही का आलम यह था कि, बाघ की मॉनीटरिंग कर रहे वन अधिकारी बाघ को बाड़े में समझकर निश्चिंत बैठे रहे।
आपको बता दें कि, 09 जनवरी को कार्बेट से राजाजी पार्क लाए गए बाघ को उसी रोज शाम को करीब चार बजे बाड़े से रिलीज करने के लिए गेट खोला दिया गया था, लेकिन बाघ बाड़े से नहीं निकला। उस दौरान वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत भी मौजूद थे। रविवार को भी बाघ के पूरे दिन बाड़े में ही मौजूद रहने की जानकारी दी गई। सोमवार को जब बाघ बाड़े से बाहर नहीं निकला तो उसकी तस्वीर लेने के लिए ड्रोन की मदद ली गई। ड्रोन से भी जब बाघ का पता न चला तो वन कर्मियों की टीम बंद वाहन में सवार होकर बाड़े के भीतर गई। इस दौरान पूरे बाड़े का कोना-कोना छानने के बाद भी बाघ कहीं नहीं दिखा।
इस दौरान टीम को रेडियो कॉलर मिला, जो कि बाघ को पहनाया गया था। बाड़े में रेडियो कॉलर मिलने के बाद पार्क अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। माना जा रहा है कि, बाघ रात को ही बाड़े से निकलकर जंगल में चला गया, जिसकी भनक वन कर्मियों को नहीं लगी। मोतीचूर रेंज के वार्डन ललिता प्रसाद टम्टा ने घटना की पुष्टि की है। वहीं, रेडियो कॉलर के बिना न केवल बाघ की लोकेशन मिलना मुश्किल है। बाघ के रिहायशी क्षेत्र की तरफ मूवमेंट करने की सूरत में बाघ व इंसान दोनों के लिए खतरा पैदा हो गया है।
बता दें कि,मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में कॉर्बेट से बाघ शिफ्ट करने के लिए वर्ष 2016 में योजना तैयार की गई थी। वर्ष 2017 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इसे मंजूरी दी। पार्क के करीब 550 वर्ग किलोमीटर में फैले मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से कुल पांच बाघ लाए जाने हैं। जिनमें से एक बाघिन को बीते माह 24 दिसंबर को मोतीचूर लाया जा चुका है, जबकि दूसरे बाघ को गत शनिवार लाया गया।