उत्तराखंड का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा ! विभागीय
चमोली:-
चमोली जिले के गैरसैण ब्लाक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय ( मालाई) में कार्यरत शिक्षिका चित्रा के खिलाफ फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने का मामला प्रकाश में आया है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की सांठ-गांठ से यह शिक्षिका अभी भी सरकारी वेतन डकार रही है।
जानकारी के लिए बता दें कि, शिक्षिका के डाक्यूमेंट्स में शिक्षिका का नाम चित्रा गॉड है, परंतु जाति प्रमाण पत्र में शिक्षिका का नाम सिर्फ चित्रा अंकित है। जाति प्रमाण पत्र में शिक्षिका के नाम से पदनाम हटना भी एक बड़ा सवाल है। इसके साथ ही तमाम डाक्यूमेंट्स में शिक्षिका के पिता का नाम भी इंद्रमणि गॉड है, जो जाति से ब्राह्मण हैं।
गौरतलब है कि, शिक्षिका के द्वारा 2008 एवं 2012 में दो जाति प्रमाण पत्र बनाए गए थे, 2008 में सतपुली से प्रमाण पत्र बनाया गया, जिसमें विवेक को पिता दर्शाया गया। जबकि एक रिपोर्ट में विवेक को शिक्षिका का पति बताया गया है।
शिक्षिका के द्वारा 2012 में कोटद्वार से दूसरा जाति प्रमाण पत्र बनाया गया, जिसमें शिक्षिका का नाम चित्रा गॉड के स्थान पर पर सिर्फ चित्रा अंकित किया गया एवं पिता का नाम यहां पुनः बदलकर इंद्रमणि अंकित हो गया।
वहीं कोटद्वार तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षिका का प्रमाण पत्र मूल तथ्यों को छुपाकर कुमारी चित्रा के नाम से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाया गया जो जांच का विषय है। साथ ही 2008 में सतपुली तहसीलदार के द्वारा यह भी आख्या दी गयी कि, शिक्षिका के अभिलेख उपलब्ध नहीं है। कुल मिलाकर उक्त शिक्षिका के प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी होने के बावजूद भी शिक्षा विभाग की मेहरबानी इस शिक्षिका पर बनी हुई है।
हाल में भी उक्त शिक्षिका सरकारी मेहमान बनकर सरकारी तनख्वाह डकार रही है। अब देखना होगा कि इस खबर का संज्ञान लेकर शिक्षा विभाग उक्त शिक्षिका पर कोई कार्यवाही करता है, या मामले पर लीपापोती कर इसको ऐसे ही दबा दिया जाएगा।