देहरादून।
सल्ट विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी महेश जीना ने अपने नामांकन पत्र के साथ संलग्न दो अलग-अलग शपथ-पत्रों में झूठे तथ्यों का उल्लेख कर निर्वाचन आयोग व जनता की आँख में धूल झोंकने का काम किया।
उक्त प्रत्याशी ने अपने नामांकन पत्र में मात्र एक्मे प्रा०लि० कम्पनी का उल्लेख कर उसकी सम्पत्ति मात्र एक लाख दर्शायी है, जबकि उक्त कम्पनी का वास्तविक नाम एक्मे एक्सीलेंट मैनेजमेंट प्रा०लि० है तथा इस कम्पनी की कई करोड़ों की लेनदारी व देनदारी है।
पत्नी के बैंक खाते व कम्पनियों का उल्लेख नहीं
उक्त मामले का खुलासा करते हुए बुधवार दिनांक- 14/04/21 को जनसंघर्ष के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी नव कहा कि, इसी प्रकार इनके द्वारा बेतालेश्वर एसोसिएट प्रा०लि० का उल्लेख न कर बेतालेश्वर स्टोन दर्शाया गया है तथा इस कम्पनी की देनदारी-लेनदारी भी करोड़ों रूपये में है, लेकिन मात्र लगभग 2.00 लाख दर्शायी गयी है तथा कई अन्य कम्पनियों की भी यही स्थिति है।
आधा किग्रा सोना व आधा किग्रा चांदी का मूल्य दर्शाया है 2.25 लाख व दूसरे शपथ-पत्र में 22.80 लाख
यहाॅं हैरानी की बात यह है कि, कम्पनी का लेखा-जोखा मात्र 1-2 लाख दर्शाया गया है, जबकि 1-2 लाख में तो पान के खोखे का ढाँचा भी ठीक प्रकार से नहीं बनता। मोर्चा को उक्त शपथ-पत्रों के मामले में किसी बड़ी साजिश की बू आ रही है।
इनके द्वारा दिये गये शपथ-पत्र में इनकी धर्मपत्नी श्रीमती अंजू जीना के बैंक खाते व इनकी 2-3 कम्पनियाॅं, जिनकी ये मालिक व साझेदार है (जैसा कि सूत्रों से ज्ञात हुआ है) का भी कोई उल्लेख शपथ-पत्र में नहीं है और न ही इनकी जमा पूंजी का कोई हिसाब है, जबकि इनके पास पैन नम्बर है तथा इनके द्वारा आयकर दाखिल किया जाता है। ये कृत्य एक प्रकार से गैर-कानूनी है।
नामांकन/चुनाव निरस्त कराने को निर्वाचन आयोग व न्यायालय की शरण लेगा मोर्चा
दिलचस्पी का विषय है कि, इनके द्वारा निर्वाचन आयोग को सौंपे गये एक शपथ-पत्र में 500 ग्राम सोना व 500 ग्राम चाॅंदी का कुल मूल्य 2.25 लाख दर्शाया गया है तथा दूसरे शपथ-पत्र में इतने ही वजनी सोने व चाॅंदी का मूल्य 22.80 लाख दर्शाया गया है। सही मायने में अगर बात की जाये तो ये शपथ-पत्र झूठ का पुलिंदा है। क्योंकि जो व्यक्ति नामांकन पत्र में ही इतना बड़ा झूठ आयोग के समक्ष बोल सकता है वो व्यक्ति जनता से कितना झूठ बोलता होगा।
मोर्चा उक्त झूठे शपथ-पत्र व इनकी सम्पत्तियों के फर्जीवाड़े के मामले में नामांकन/चुनाव निरस्त कराने को लेकर निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटायेगा, अगर जरूरत पड़ी तो मा०न्यायालय की शरण भी ली जायेगी।