जी हां पर्वतजन यूं ही नहीं कह रहा है कि जहां-जहां पैर पड़े संतन के तहां-तहां बंटाधार!
ओमप्रकाश नाम के यह दीपक जिस-जिस विभाग में बिठाए गये, उसके तले अंधेरा तो होना ही था।
किंतु प्रकाश कहां हुआ यह पीएचडी का विषय है ।ओम प्रकाश नाम के इस दीपक ने कम से कम एक और भ्रष्ट व्यक्ति के जीवन में तो प्रकाश ला ही दिया। इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल में कार्यवाहक कुलसचिव के पद पर तैनात संदीप कुमार वर्ष 2005 तक कॉलेज में देहरादून से कंप्यूटर सप्लाई का कार्य किया करते थे।
मूल रूप से पूरब के रहने वाले गोरखपुर निवासी संदीप कुमार की शैक्षिक योग्यता तृतीय श्रेणी में दसवीं और डिप्लोमा थी।ओमप्रकाश के संरक्षण में ही वर्तमान में कार्यवाहक कुलसचिव के पद पर तैनात संदीप कुमार को अक्टूबर 2016 में कार्यवाहक कुलसचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। किंतु इस बीच कुछ समय के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग में सेंथिल पांडियन को अपर सचिव बनाया गया। साफ छवि के लिए पहचान रखने वाले पांडियन की नजर जैसे ही संदीप कुमार पर पड़ी, उन्होंने तत्काल प्राचार्य को इन्हें हटाने के निर्देश दे दिए। इनकी गलत कार्यशैली और वित्तीय अनियमितता के चलते प्राचार्य ने इन को 14 दिसंबर 2016 को हटा दिया था। करोड़ों की खरीददारी से सीधा संबंध रखने वाले संदीप कुमार को हटाया जाना ओमप्रकाश को मंजूर ना था, लिहाजा सेंथिल पांडियन को अपर सचिव तकनीकी शिक्षा के पद से ही विदा कर दिया गया।
प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा ओम प्रकाश से मजबूत संबंध होने के कारण इन्हें 9 दिन बाद दोबारा से 23 दिसंबर 2016 को कुलसचिव के पद पर तैनात किया गया था।
कुलसचिव के अस्थाई पद को भरने हेतु जनवरी 2017 में विज्ञापन निकाला गया था किंतु ओमप्रकाश के दबाव में कुलसचिव के नियमित पद को भरने की कार्यवाही अभी तक लंबित है। क्योंकि अस्थाई कुलसचिव के आने से संदीप कुमार स्वतः ही हट जाएंगे। वजह यही है कि कुल सचिव का पद नहीं भरा जा रहा है। संदीप कुमार के द्वारा कॉलेज में बड़े स्तर पर खरीदारी की गई है और कराई जा रही है।
जैसे कि बेहिसाब बायोमेट्रिक मशीनों की खरीददारी ,बेहिसाब सीसीटीवी कैमरों की खरीददारी, बेहिसाब फोटो स्टेट मशीनों की खरीददारी, बेहिसाब कंप्यूटर एवं कंप्यूटर उपकरणों की खरीदारी सिर्फ कमीशन के चक्कर में की जा रही है।
कॉलेज ऑडिटोरियम में संदीप कुमार ने 4200000 रूपय का कार्य करवाया इसमें लगभग 3000000 रूपय का वित्तीय घोटाला सामने आ सकता है। यही नहीं कॉलेज के आउटसोर्सिंग पर कार्यरत 240 कर्मचारियों और सुरक्षा गार्डों का PF उनके पीएफ खातों में जमा नहीं कराया जा रहा है। इसमें भी लाखों का वित्तीय घोटाला होने का अनुमान है।
जब पानी सर से ऊपर हो गया तो अप्रैल में पौड़ी से भाजपा के 4 वरिष्ठ सदस्य भुवन चंद्र खंडूरी के सांसद प्रतिनिधि मातवर सिंह नेगी के साथ देहरादून आकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मिले। उन्होंने साफ तौर पर ओम प्रकाश द्वारा संदीप कुमार को संरक्षण दिए जाने की शिकायत करते हुए कहा कि जिस प्रकार प्रभात सारंगी के कारण भुवन चंद्र खंडूरी को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी उसी प्रकार ओमप्रकाश के कारण भी आप को सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।
किंतु मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसका परिणाम यह है कि संदीप कुमार को हटाए जाने को लेकर पिछले 15 दिन से पौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में धरने प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन तकनीकी शिक्षा मंत्री का कार्य मुख्यमंत्री के पास होते हुए भी वह संदीप कुमार और ओमप्रकाश के प्रति अपनी टोलरेंस क्षमता का परिचय दे रहे हैं। अब जरा संदीप कुमार का शैक्षिक अतीत खंगाल ले लेते हैं।
संदीप कुमार को सितंबर 2005 के फर्जी विज्ञापन के आधार पर जनवरी 2006 में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी के पद वेतनमान 8000 से 13505 पर नियमित नियुक्ति दी गई थी। तथा उच्च योग्यता धारी बीटेक एमटेक उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया गया था। जबकि विज्ञापित पदों हेतु शैक्षिक योग्यता बीटेक थी तथा संदीपकुमार केवल हाईस्कूल एवं डिप्लोमा होल्डर थे। एवं ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी का पद भी विद्यालय में स्वीकृत नहीं था। उक्त पद 14 अप्रैल 2008 में संदीप कुमार को बचाने के लिए शासन से स्वीकृत हुआ। इस प्रकार श्री संदीप कुमार को फर्जी विज्ञापन के आधार पर बिना पद के ही 2 वर्ष पूर्व ही नियमित नियुक्ति दे दी गई थी।
संदीप कुमार की ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी के पद पर की गई नियुक्ति को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
इसके बाद तत्कालीन अपर सचिव विजय कुमार ढौंडियाल ने भी अपनी जांच में संदीप कुमार की नियुक्ति को गलत करार दिया था। लेकिन इसकी फाइल अभी भी लंबित पड़ी हुई है।
संदीप कुमार की रिकार्ड शिक्षा
संदीप कुमार द्वारा कॉलेज में सेवा के दौरान 2008 में इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय से पत्राचार द्वारा एडवांस डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन जो कि एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है तथा बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन BCA जो कि 3 वर्षीय डिग्री कोर्स है एवं मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन एमसीए जो कि 3 वर्षीय डिग्री कोर्स है, यह सब कोर्स इन्होंने एक ही वर्ष एवं एक ही महीने दिसंबर 2008 में किया है जो कि भारत में संभव नहीं है।
उक्त तीनों कोर्स को करने में 7 वर्ष का समय लगता है। यह गंभीर विषय है, जिसकी जांच की जानी अति आवश्यक है।
इस तथ्य को कई बार भ्रष्ट आईएएस और संदीप कुमार के संरक्षक ओमप्रकाश के संज्ञान में लाया जा चुका है।किंतु ओमप्रकाश के संरक्षण में संदीप कुमार के भ्रष्ट कारनामें फल फूल रहे हैं।
यह तो तय है कि ओमप्रकाश के कारनामे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के लिए एक और सारंगी सिद्ध होंगे किंतु तब तक इस राज्य का कितना बुरा हो चुका होगा,यह देखने वाली बात होगी। भ्रष्ट आईएएस तथा राज्य के सबसे ताकतवर नौकरशाह काफी लंबे समय तक कृषि चिकित्सा तथा तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण पदों को संभालते रहे हैं। इन क्षेत्रों में राज्य की दुर्दशा उनके योगदान को बताने के लिए काफी है। राज्य की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के भ्रष्ट कारनामो को पर्वतजन लगातार लगातार प्रकाशित कर रहा है। आपके संज्ञान में भी ऐसा कोई मामला आता है जिसे अब तक कोई प्रकाशित न कर पाया हो तो हमें बताइए। हम जनहित में उसका खुलासा करेंगे।
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