गिरीश गैरोला
उत्तराखंड मे मित्र पुलिस भले ही अपराधियों से मित्रता से पेश आती हो किन्तु महापुरुषों से पुलिस का कैसा व्यवहार है ये थाना कोतवाली उत्तरकाशी मे लगी इस तस्वीर से पता चलता है।
कोतवाली के कार्यालय मे सामने दीवार पर अपराधियों के नाम और उनके द्वारा कौन-कौन से अपराध अंजाम दिये गए हैं और किन मामलों मे उनकी तलाश है, इसका विवरण चस्पा किया गया है। किन्तु आश्चर्य है कि इसके पास मे ही सटाकर संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की भी इसी से सटकर तस्वीर लगाई गयी है।
अब सवाल ये है कि महापुरुषों को सम्मान दिया जा रहा है या उनका अपमान हो रहा है! ऐसा तो नहीं कि अपराधियों से पेश आते-आते पुलिस अच्छे और बुरे कि पहचान भूल गयी है।जाहिर है कि कार्यालयों में महापुरुषों की तस्वीर टांगना महज खानापूर्ति तक सीमित होता जा रहा है।न कोई उनके जीवन से प्रेरणा ले रहा है और न ही किसी को उनके सम्मान की परवाह है।
थाने के एक सिपाही सुझाव देते हैं कि पीएम नरेन्द्र मोदी को महापुरुषों के दिवसों पर होने वाले कार्यक्रम को स्कूलों की ही तरह सभी कार्यालयों मे आयोजित किया जाना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिये।